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प्राचीन गोरल भैरव मंदिर पर लगा वार्षिक मेला:56 भोग का प्रसाद लगाया, भंडारे में भक्तों की उमड़ी भीड़, मुगल भी नहीं हिला सके थे मूर्ति

आगरा के बाईपुर स्थित प्रसिद्ध गोरल भैरव मंदिर पर वार्षिक मेले का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से सजाया गया। सुबह से ही भक्तों का आना शुरू हो गया था और देर शाम तक दर्शन व प्रसाद ग्रहण करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। वार्षिक भंडारे के अवसर पर भगवान भैरव को विशेष रूप से 56 भोग अर्पित किए गए। मंदिर में भव्य फूल बंगले की सजावट की गई, जिसमें रंग-बिरंगे पुष्पों से भगवान का अलौकिक श्रृंगार किया गया। फूलों से सजा फूल बंगला श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा। पूरे वातावरण में भक्ति और श्रद्धा का भाव देखने को मिला। मुख्य पूजा-अर्चना मंदिर के महंत भूदेव गोस्वामी और प्रांशुल गोस्वामी द्वारा विधि-विधान से कराई गई। मंत्रोच्चार और शंखनाद के बीच भगवान भैरव की विशेष आरती की गई, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। आरती के समय पूरा मंदिर परिसर “जय भैरव बाबा” के जयकारों से गूंज उठा।
पूजा-अर्चना के बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भक्तों के लिए बैठने, प्रसाद वितरण और व्यवस्था को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित किया गया, जिससे किसी को असुविधा न हो। आयोजकों ने बताया कि गोरल भैरव मंदिर का वार्षिक भंडारा क्षेत्र की धार्मिक परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें हर वर्ष आसपास के गांवों और शहर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। आयोजन के सफल संपन्न होने पर भक्तों ने आयोजकों की सराहना की और बाबा भैरव से सुख-समृद्धि की कामना लेटी अवस्था में हैं भैरो बाबा प्राचीन श्री गोरल भैरो मंदिर में भैरो बाबा की मूर्ति लेटी अवस्था में हैं, जो अपने आप में विशेष है, इसलिए प्रत्येक रविवार यहां श्रद्धालु आकर भगवान को मदिरा, इमरती, लड्डू, कचौड़ी, हलवा चने का भोग लगाते हैं। जबकि पूस माह के शुक्ल पक्ष के तीसरे रविवार को यहां भव्य मेला लगता है। मुगल भी नहीं तोड़ सके मंदिर
मुगल आक्रांता औरंगजेब ने देश में कई मंदिरों को अपना निशाना बनाया, सिकंदर ने भी अपनी बहादुरी दिखाई, लेकिन आगरा के सिकंदरा, बाईंपुर रोड स्थित प्राचीन श्री गोरल भैरों मंदिर की महत्ता के आगे वह भी नतमस्तक हो गए थे। इसके बाद उन्होंने अपनी हार मानकर मंदिर निर्माण कराकर यहां धर्मशाला और बावड़ी का निर्माण कराया था।


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