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अब रटने की जरूरत नहीं,’स्टडी प्रोसेसिंग मेथड’ से करें पढ़ाई:15 दिन के प्रशिक्षण में छात्रों को मिली महत्वपूर्ण जानकारी

गोपालगंज के एक निजी स्कूल में शिक्षा के क्षेत्र में एक अनूठा प्रयोग किया गया है। यहां पारंपरिक रटने की पद्धति को छोड़कर बच्चों को ‘स्टडी प्रोसेसिंग मेथड’ के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया। 15 दिनों के इस विशेष प्रशिक्षण में कई छात्र-छात्राओं ने महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की और उन्हें स्कूल प्रशासन द्वारा मेडल देकर सम्मानित भी किया गया। नई तकनीक बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करने में सहायक इस आधुनिक तकनीक का मुख्य उद्देश्य बच्चों की एकाग्रता, याद रखने की क्षमता और सीखने की गति को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ाना है। यह विधि पारंपरिक रटने की पद्धति से अलग है, जो बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करने में सहायक है। आज के प्रतिस्पर्धी युग में बच्चों पर पढ़ाई का बढ़ता बोझ एक बड़ी समस्या है। इसी समस्या के समाधान के लिए स्कूल प्रशासन ने 15 दिनों का यह विशेष प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया। विजुअलाइजेशन, माइंड मैपिंग और मेमोरी रिकॉल का उपयोग इस दौरान विशेषज्ञों ने बच्चों को सिखाया कि किसी कठिन विषय या लंबी जानकारी को दिमाग में कैसे ‘प्रोसेस’ किया जाता है। इसमें विजुअलाइजेशन, माइंड मैपिंग और मेमोरी रिकॉल जैसी तकनीकों का उपयोग किया गया। मात्र दो हफ्तों के इस छोटे से अंतराल में बच्चों ने आश्चर्यजनक परिणाम दिखाए। जो छात्र लंबे उत्तर याद करने में घंटों लगाते थे, वे अब मिनटों में उसे समझने और सुनाने में सक्षम हो गए। इस नई पद्धति से पढ़ाई करने के कारण बच्चों के आत्मविश्वास में भारी उछाल देखने को मिला। बच्चों ने न केवल अपने पाठ्यक्रम, बल्कि देश-दुनिया से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियों को भी इस तकनीक के जरिए आत्मसात किया। मेडल और प्रशस्ति पत्र से बच्चों को किया सम्मानित प्रशिक्षण पूरा होने के बाद स्कूल परिसर में एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया। स्कूल प्रशासन ने बच्चों की इस उपलब्धि पर गर्व जताते हुए उन्हें मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। शिक्षकों का मानना है कि इस तरह की पद्धतियाँ बच्चों के मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी हैं, ताकि वे बिना किसी तनाव के शिक्षा ग्रहण कर सकें। अभिभावकों ने भी स्कूल की इस पहल की काफी सराहना की है। उनका कहना है कि इस ‘स्टडी प्रोसेसिंग मेथड’ से बच्चों का पढ़ाई के प्रति नजरिया सकारात्मक हुआ है और वे अब पढ़ाई को बोझ न समझकर एक खेल की तरह ले रहे हैं।


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