संगम की पावन धरती पर 3 जनवरी 2026 से पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ माघ मेले की शुरुआत होने जा रही है, लेकिन मेले से ठीक पहले जमीन आवंटन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बड़ी संख्या में ऐसे साधु-संत हैं, जिन्हें अब तक शिविर लगाने के लिए जमीन आवंटित नहीं हो सकी है। इससे नाराज साधु-संतों ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण कार्यालय के बाहर दरी बिछाकर धरना शुरू कर दिया है। धरने पर बैठे साधु-संतों का कहना है कि माघ मेले की शुरुआत में अब कुछ ही दिन शेष हैं। तीन जनवरी से कल्पवासी उनके शिविरों में पहुंचने लगेंगे, लेकिन जमीन न मिलने के कारण वे अब तक किसी तरह की तैयारी नहीं कर पाए हैं। न तो टेंट लग पाए हैं और न ही अन्य व्यवस्थाएं हो सकी हैं। साधु-संतों का आरोप है कि मेला प्रशासन की लापरवाही और भेदभावपूर्ण रवैये के कारण संत समाज को मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है। संतों का कहना है कि माघ मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि उनकी साधना, सेवा और धार्मिक परंपरा से जुड़ा हुआ है। वे हर वर्ष संगम तट पर आकर कल्पवासियों और श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन देते हैं। लेकिन इस बार उन्हें उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। धरने पर मौजूद संतों ने मेला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ चुनिंदा लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि वर्षों से आने वाले कई संतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। साधु-संतों ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कोई शिकायत नहीं है। उनका कहना है कि योगी आदित्यनाथ स्वयं संत हैं और पूरे संत समाज के हितैषी हैं। समस्या केवल मेला प्रशासन के स्तर पर है। संतों ने चेतावनी दी कि जब तक उन्हें शिविर के लिए जमीन आवंटित नहीं की जाएगी, तब तक उनका धरना जारी रहेगा। धरने पर बैठे संतों ने यहां तक कहा कि प्रशासन चाहे तो उन्हें जेल में डाल दे, लेकिन वे अपने हक की मांग से पीछे नहीं हटेंगे। वहीं, इस पूरे मामले ने माघ मेला 2026 की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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