यूपी में SIR की प्रक्रिया चल रही है। चुनाव आयोग फॉर्म जमा करने की तारीख फिर बढ़ाए जाने की तैयारी में है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने भी 21 दिसंबर (रविवार) को भाजपा की कार्यशाला में संकेत दिया कि यूपी में SIR का समय बढ़ सकता है। साथ ही सांसद-विधायकों को नसीहत के साथ चेतावनी भी दी। पूरी भाजपा परेशान है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में उनके वोटर क्यों नहीं निकल रहे? विधायक से लेकर जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारियों तक को सक्रिय किया जा रहा। मुख्यमंत्री कह रहे कि सब काम छोड़कर पार्टी के लोग SIR के काम में लग जाएं। भाजपा की चिंता ये है कि शहरों से इतनी बड़ी संख्या में नाम कैसे कम हो रहे? क्या SIR से भाजपा को नुकसान हो रहा? नुकसान होने की प्रमुख वजहें क्या हैं? सपा काे फायदा हो रहा या नुकसान? दैनिक भास्कर ने इन सब सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की। सपा और उसका कोर वोटर सक्रिय क्यों हुआ? राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि SIR के दौरान ही डिटेंशन सेंटर बनाने की चर्चा से सपा, कांग्रेस के कार्यकर्ता और वोटर्स सक्रिय हो गए। उन्हें डर लगने लगा कि अगर मतदाता सूची में नाम शामिल नहीं हुआ, तो उन्हें यूपी या देश से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। ऐसे में मुस्लिम मतदाता काफी सजग और सक्रिय हो गए। हालांकि, भाजपा कार्यकर्ता आरोप लगाते हैं कि उन्होंने अपने लोगों को बचाने के लिए फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। खुद सीएम योगी ने भाजपा की बैठक में कहा कि SIR को लेकर सपा के लोग सहज हैं। सपा कार्यकर्ता मतदाता सूची में नाम जुड़वा रहे हैं। जो मतदाता मिसिंग हो रहे, वह भाजपा के ही हैं। वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार कहते हैं- SIR की प्रक्रिया के दौरान जब मुख्यमंत्री का डिटेंशन सेंटर को लेकर निर्देश आया, तो भाजपा के मतदाताओं को लगा कि ये प्रक्रिया उनके लिए नहीं, बल्कि मुस्लिम वोटरों के लिए हो रही है। इसलिए चिंता में हैं सीएम योगी सीएम क्यों इस बार पहले से अलर्ट, 3 पॉइंट में पढ़िए खबर में आगे बढ़ने से पहले इस पोल पर अपनी राय दीजिए… सियासी नुकसान का डर एक्सपर्ट कहते हैं- जैसा कि सीएम योगी खुद कह रहे हैं कि यूपी की जनसंख्या 25 करोड़ है। इस हिसाब से यूपी में 16 करोड़ से अधिक मतदाता होने चाहिए, लेकिन, SIR में 12 करोड़ मतदाता ही सामने आए हैं। 4 करोड़ मतदाता मिसिंग है, वह भाजपा के ही हैं। अगर इतनी बड़ी संख्या में मतदाता कम होते हैं, तो सीधे तौर पर इसका भाजपा को सियासी नुकसान होगा। 2022 के चुनाव में भाजपा को 41.29 और सपा को 32.06 फीसदी वोट मिले थे। भाजपा को 10 फीसदी वोट अधिक मिलने से वह 256 सीटें जीत सकी थी। अगर ज्यादा वोटर्स कम हो गए, तो इसका सीधा असर चुनाव परिणाम पर भी पड़ेगा। सीएम योगी और भाजपा के प्रदेश नेतृत्व की भी यही चिंता और डर है। अखिलेश यादव योगी के इस दावे पर सवाल उठाते हुए कहते हैं- मुख्यमंत्री को कैसे पता कि 4 करोड़ वोटर कम हो गए? चुनाव आयोग ने अभी ऐसा कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है। ऐसे में क्या चुनाव आयोग भाजपा को रिपोर्ट कर रहा? मुख्यमंत्री का ये कहना भी हास्यास्पद है कि जो वोटर कम हुए, वे उनके हैं। सरकार की ओर से अफसरों पर सपा बाहुल्य क्षेत्रों में वोटों को काटने का दबाव बनाया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में वोट कम होने से बढ़ी भाजपा की चिंता
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार कहते हैं- SIR कहीं न कहीं भाजपा को नुकसान पहुंचा रहा है। क्योंकि, भाजपा का जो मुख्य वोट बैंक है वह सामान्य वर्ग का माना जाता है। सामान्य वर्ग आमतौर पर संपन्न होता है। भाजपा के लिए चिंता की बात ये है कि अभी तक के आंकड़ों में सबसे ज्यादा वोट शहरी क्षेत्र से कम होते नजर आ रहे हैं। उदाहरण के तौर पर लखनऊ में 12.32 लाख वोटरों ने अपने फॉर्म या तो वापस नहीं किए या उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जहां उनका मूल निवास रहा है, वहां का वोटर बनना मुनासिब समझा। शहरों में अपने नाम कटवा लिए। इसी तरह गाजियाबाद में भी 11.40 लाख फॉर्म अब तक वापस नहीं आए। इसका सीधा मतलब है कि नुकसान कहीं न कहीं भाजपा को हो रहा। जहां तक मुस्लिमों का सवाल है, तो उसे भाजपा ने पहले से ही इतना डरा दिया है कि वह अपने हर कागज मजबूत करने के चक्कर में पहले से है। SIR को एनआरसी मानकर मुस्लिमों ने अपने फॉर्म पूरी मुस्तैदी से चुपचाप भर लिए। इसमें बड़ी संख्या में दलित और पिछड़े वोटर भी शामिल थे, जिन्हें लग रहा था कि SIR के बाद राशन कार्ड और दूसरी सरकारी सुविधाओं को भी इसी से जोड़ा जाएगा। अब लग रहा है कि यूपी में एक बार फिर SIR की प्रक्रिया की समय अवधि बढ़ सकती है। ऐसा माना जा रहा है भाजपा के वोटर छूटे हुए हैं, इसलिए सरकार डेट बढ़वाना चाहती है। 2 बार बढ़ चुकी है SIR की डेट ————————— ये खबर भी पढ़िए… योगी बोले- जहां मुस्लिम अधिक, हिंदू वोटर्स के बूथ बदलवाओ, BJP महासचिव की नसीहत- चुनावी खुजली मिटानी हो तो SIR पर काम करिए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने रविवार को पार्टी के सांसद-विधायकों को नसीहत के साथ चेतावनी भी दी है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, जिसे चुनावी खुजाल (खुजली) मिटानी है, वह मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR में जुट जाएं। इस SIR का असर 20 साल तक रहेगा। पढ़ें पूरी खबर
https://ift.tt/GQSfl3j
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply