कासगंज तहसील में सोमवार को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की कासगंज इकाई ने मनरेगा कानून में प्रस्तावित बदलावों के विरोध में प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी के माध्यम से सौंपते हुए मनरेगा को उसके मूल स्वरूप में लागू रखने की मांग की। नई योजना का विरोध, केंद्र के योगदान में कटौती का आरोप सीपीआई (एम) ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा की जगह लाए जा रहे ‘विकसित भारत रोजगार आजीविका मिशन’ का कड़ा विरोध किया। पार्टी का आरोप है कि इस नई योजना के तहत रोजगार पर होने वाले खर्च में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी घटाकर केवल 40 प्रतिशत कर दी गई है, जबकि शेष 60 प्रतिशत भार राज्य सरकारों पर डाला जा रहा है। पहले केंद्र सरकार का योगदान इससे कहीं अधिक था। मनरेगा बजट में भारी कटौती का दावा पार्टी के जिला मंत्री सुनील सिंह ने कहा कि मनरेगा का वार्षिक बजट पहले करीब 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये था, जिसे घटाकर अब मात्र 18 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। उन्होंने इसे ग्रामीण गरीबों, दलितों और मजदूर महिलाओं के साथ धोखा करार दिया। मनरेगा को पूर्व स्वरूप में लागू रखने की मांग मार्क्सवादी पार्टी ने मांग की है कि मनरेगा कानून को पहले की तरह लागू रखा जाए। साथ ही इसमें महात्मा गांधी का नाम बरकरार रखने, ग्रामीण मजदूरों को प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार सुनिश्चित करने और मजदूर हितों की रक्षा करने की भी मांग उठाई गई।
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