देवरिया और कुशीनगर जिलों को जोड़ने वाली लगभग 50 किलोमीटर लंबी हाटा रजवाहा नहर में अब तक पानी नहीं छोड़ा गया है। इससे सैकड़ों गांवों के किसान परेशान हैं, क्योंकि रबी फसलों, खासकर गेहूं की सिंचाई पर संकट गहरा गया है। किसानों के अनुसार, खेतों में खड़ी गेहूं की फसल को इस समय सिंचाई की सख्त आवश्यकता है। नहर में पानी न होने के कारण उन्हें पंपसेट का उपयोग करना पड़ रहा है, जिससे डीजल और बिजली पर अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। यह छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों की आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ रहा है। सिंचाई विभाग ने हाटा रजवाहा नहर की सफाई का कार्य शुरू कर दिया है। जेसीबी मशीनों की मदद से नहर में जमा गाद, कचरा और झाड़-झंखाड़ हटाए जा रहे हैं, ताकि पानी का बहाव सुचारु हो सके। विभाग का दावा है कि यह सफाई कार्य अगले 7 से 10 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि, किसानों की चिंताएं केवल नहर की सफाई तक सीमित नहीं हैं। उनका कहना है कि नहर से खेतों तक पानी पहुंचाने वाली अधिकांश नालियां या तो टूट गई हैं, मिट्टी और खरपतवार से अटी पड़ी हैं, या अवैध भराव के कारण बंद हो चुकी हैं। ऐसी स्थिति में, नहर में पानी आने के बाद भी खेतों तक सिंचाई संभव नहीं हो पाएगी। किसान मोहन सिंह, राजेश प्रसाद, हरकेश, पंकज और रामनरेश ने बताया कि वे लंबे समय से विभागीय अधिकारियों को नालियों की खराब स्थिति से अवगत करा रहे हैं। इसके बावजूद, अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अधिकारियों से संपर्क करने पर भी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इन नालियों की मरम्मत, सफाई और पुनर्निर्माण नहीं कराया गया, तो आने वाले दिनों में सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह ठप हो सकती है, जिससे फसलों को भारी नुकसान होने की आशंका है।
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