बक्सर के चौसा रेलवे स्टेशन की वर्षों से हो रही उपेक्षा के खिलाफ स्थानीय लोगों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। ट्रेनों के ठहराव, बुनियादी यात्री सुविधाओं और आरक्षण व्यवस्था जैसी पुरानी मांगों को लेकर चौसा रेलवे यात्री संघर्ष समिति ने आंदोलन की घोषणा की है। समिति के आह्वान पर मंगलवार, 23 दिसंबर 2025 को चौसा रेलवे स्टेशन परिसर में अनशन और प्रदर्शन किया जाएगा। यह आंदोलन सुबह 10 बजे से शुरू होगा और मांगें पूरी होने तक जारी रखने की चेतावनी दी गई है। आवागमन के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की आबादी निर्भर संघर्ष समिति का कहना है कि चौसा स्टेशन पर चौसा सहित आसपास के ग्रामीण और शहरी इलाकों की लाखों की आबादी निर्भर है। इसके बावजूद रेलवे प्रशासन लगातार स्टेशन की अनदेखी कर रहा है। कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव न होने से यात्रियों को बक्सर या अन्य स्टेशनों का सहारा लेना पड़ता है, जिससे समय, पैसा और सुविधा तीनों का नुकसान होता है। समिति ने आरोप लगाया कि इस मुद्दे को लेकर कई बार ज्ञापन सौंपे गए और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। श्रमजीवी एक्सप्रेस और हावड़ा–अमृतसर मेल के रोकने की मांग संघर्ष समिति की प्रमुख मांगों में श्रमजीवी एक्सप्रेस और हावड़ा–अमृतसर मेल का दोनों दिशाओं से चौसा स्टेशन पर ठहराव शामिल है। इसके अतिरिक्त, मगध एक्सप्रेस और जनशताब्दी एक्सप्रेस का अप-डाउन दोनों ओर से चौसा स्टेशन पर ठहराव की मांग की गई है। समिति ने 53202/53201 बक्सर–पटना फास्ट पैसेंजर और पटना–बक्सर फास्ट पैसेंजर ट्रेन को चौसा रेलवे स्टेशन तक विस्तारित करने की भी मांग उठाई है। समिति का मानना है कि इन ट्रेनों के विस्तार से यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी। वाटर कूलर लगाना और प्लेटफॉर्म पर साफ-सफाई हो समिति ने स्टेशन पर बुनियादी यात्री सुविधाओं की बदहाल स्थिति पर भी नाराजगी व्यक्त की है। उनकी मांगों में शुद्ध पेयजल के लिए वाटर कूलर लगाना, प्लेटफॉर्म पर साफ-सफाई सुनिश्चित करना, बैठने की समुचित व्यवस्था करना, शौचालयों की मरम्मत करना और कम्प्यूटरीकृत आरक्षण प्रणाली शुरू करना शामिल है। समिति का कहना है कि आधुनिक दौर में भी चौसा स्टेशन पर यात्री सुविधाओं की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। संघर्ष समिति ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि रेलवे प्रशासन ने उनकी मांगों पर जल्द सकारात्मक और ठोस निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की होगी। समिति का दावा है कि यह आंदोलन किसी एक व्यक्ति या संगठन का नहीं, बल्कि चौसा और आसपास के क्षेत्र के लाखों यात्रियों के अधिकार, सम्मान और सुविधा की लड़ाई है, जिसे वे हर हाल में अंजाम तक पहुंचाएंगे।
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