श्रावस्ती मे सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने मानव तस्करी जैसे संगठित अपराध की रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सोमवार को 62वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल, भिनगा के मुख्यालय में मानव तस्करी रोकथाम विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात जवानों को मानव तस्करी के प्रति जागरूक, संवेदनशील और प्रशिक्षित करना है। इसका लक्ष्य इस गंभीर सामाजिक अपराध पर प्रभावी ढंग से रोक लगाना है। कार्यक्रम में वाहिनी के अधिकारी और जवान बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यशाला के पहले दिन हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, रायपुर (छत्तीसगढ़) के टेक्निकल असिस्टेंट मो. रमीज रज़ा ने प्रशिक्षण सत्र का संचालन किया। उन्होंने मानव तस्करी की परिभाषा, इसके विभिन्न स्वरूपों, सीमावर्ती इलाकों में तस्करी की पहचान और तस्करों द्वारा अपनाए जाने वाले हथकंडों की विस्तृत जानकारी दी। प्रशिक्षण में पीड़ितों की पहचान, उनके बचाव व संरक्षण की प्रक्रिया तथा मानव तस्करी से संबंधित प्रचलित कानूनी प्रावधानों पर भी प्रकाश डाला गया। जवानों ने प्रशिक्षण सत्र के दौरान सक्रिय रूप से भाग लिया और विषय से जुड़े प्रश्न पूछे। मांडेंट अमरेन्द्र कुमार वरुण ने अपने संबोधन में कहा कि मानव तस्करी एक संगठित और अमानवीय अपराध है, जो समाज की जड़ों को कमजोर करता है। इसकी रोकथाम के लिए सुरक्षा बलों का सतर्क, जागरूक और कानूनी रूप से प्रशिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने जोर दिया कि ऐसी कार्यशालाएँ जवानों की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें मानवीय दृष्टिकोण से भी सशक्त बनाती हैं। कमांडेंट वरुण ने यह भी कहा कि सशस्त्र सीमा बल सीमावर्ती क्षेत्रों में मानव तस्करी के विरुद्ध निरंतर सतर्क रहते हुए समाज की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्यशाला दूसरे दिन विभिन्न व्यावहारिक सत्रों और चर्चा के साथ संपन्न होगी, जो मानव तस्करी के विरुद्ध सशस्त्र सीमा बल की सक्रिय भूमिका और सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाती है।
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