लखनऊ में फर्जी शैक्षणिक डिग्री बेचने वाले गैंग का सरगना 3 साथियों संग गिरफ्तार हुआ है। पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि लखनऊ से संगठित रैकेट चल रहा था। इसकी जड़ें 25 राज्यों तक फैली थीं। गोमतीनगर से संचालित इस इंटर स्टेट गिरोह ने दिल्ली, मुंबई, मध्य प्रदेश समेत कई बड़े राज्यों में फर्जी डिग्रियां बेचकर करोड़ों रुपए की अवैध कमाई की। गैंग वर्ष 2021 से लेकर अब तक गिरोह करीब 15 करोड़ रुपए की फर्जी डिग्रियां बेच चुका है। गिरोह का संचालन गोमतीनगर से किया जा रहा था। यहां साइबर कैफे और निजी ऑनलाइन एग्जाम सेंटर की आड़ में फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां तैयार की जाती थीं। यहीं से देश के अलग-अलग राज्यों में ग्राहकों से संपर्क कर उन्हें मनचाही डिग्री बेची जाती थी। दिल्ली-मुंबई से लेकर मध्य प्रदेश तक फैला जाल जांच में खुलासा हुआ है कि गिरोह ने उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों तक अपना नेटवर्क फैला रखा था। जरूरतमंद युवाओं को बिना पढ़ाई और मेहनत के डिग्री दिलाने का लालच देकर उन्हें फंसाया जाता था। कई मामलों में प्रतीकात्मक परीक्षा भी कराई जाती थी, ताकि फर्जीवाड़े पर शक न हो। पीएचडी से लेकर बीटेक तक की डिग्री गिरोह पीएचडी, बीटेक, बीसीए, एमसीए, एमबीए, एमएससी, बीए और एमए जैसी डिग्रियां तैयार करता था। अलग-अलग कोर्स और विश्वविद्यालय के नाम पर कीमत तय होती थी। साधारण डिग्री 25 हजार रुपए में तो वहीं प्रोफेशनल और उच्च डिग्रियां 4 लाख रुपए तक में बेची जाती थीं। 2021 से अब तक 15 करोड़ के अवैध कारोबार का अनुमान पुलिस का आकलन है कि गिरोह वर्ष 2021 से सक्रिय था। अब तक करीब 1500 से अधिक लोगों को फर्जी डिग्रियां बेच चुका है। इस अवैध कारोबार का कुल टर्नओवर लगभग 15 करोड़ रुपए आंका जा रहा है। बरामद डिग्रियों और दस्तावेजों से साफ है कि यह रैकेट लंबे समय से योजनाबद्ध तरीके से चल रहा था। 25 यूनिवर्सिटी के नाम पर तैयार होती थीं डिग्रियां छापेमारी में 25 अलग-अलग विश्वविद्यालयों की 923 फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट बरामद हुई हैं। इसके साथ ही 15 विश्वविद्यालयों की कूटरचित मुहरें, विशेष पेपर, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, प्रिंटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी मिले हैं। पूछताछ में सामने आया है कि फर्जी डिग्री लेने वाले कई लोग निजी कंपनियों में नौकरी हासिल कर चुके थे। पुलिस अब ऐसे लोगों की सूची तैयार कर रही है, ताकि फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने वालों पर भी कार्रवाई की जा सके। अब जानिए पूरा मामला…
लखनऊ पुलिस ने 21 दिसंबर को गोमती नगर के एक कैफे में फर्जी डिग्री बनाने जाने का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने तीन आरोपियों पूराकलंदर अयोध्या के रहने वाले सत्येंद्र द्विवेदी (32), बीघापुर उन्नाव के रहने वाले अखिलेश कुमार (44) और ईसानगर लखीमपुर खीरी के रहने वाले सौरभ शर्मा (35) को गिरफ्तार किया। आरोपियों के पास से 25 यूनिवर्सिटी की 923 फर्जी डिग्री मिली हैं। 15 अलग-अलग यूनिवर्सिटी की मोहरें, 65 डिग्री बनाने वाला पेपर और 6 लैपटॉप सहित डिग्री बनाने का सामान मिला। पुलिस की पूछताछ में आया कि सत्येंद्र द्विवेदी गिरोह का सरगना है।
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