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झांसी अग्निकांड में 2 जिंदगी बचाने वाले की कहानी:सुजीत सबको जगाकर बाहर लाया, बोला- 2 मिनट की देरी होती तो राख बन जाते

रात के ढाई बज रहे थे। हम लोग गहरी नींद में थे। तभी एकदम आंखों में तेज चमक पड़ी तो नींद खुल गई। देखा तो हमारी फैक्ट्री में भीषण आग लगी थी। जो हमारे कमरे की तरफ बढ़ रही थी। मैंने तुरंत मनीष और टुन्ना को जगाया और बाहर निकल आया। फिर पुलिस ने मैनगेट तोड़कर हमें बाहर निकाल दिया। अगर 2 मिनट की भी देरी हो जाती तो हम तीनों राख बन जाते…। ये कहना है सुजीत का। जिनसे शनिवार रात को प्लास्टिक स्क्रैप फैक्ट्री में लगी भीषण आग में खुद की और अपने दो साथियों की जान बचाई। जिस कमरे में तीनों सोए थे, वहां राख के सिवाय कुछ भी नहीं बचा। अचानक लगी आग 12 घंटे तक धधकती रही। मालिक का दावा है कि आग से 6 करोड़ का माल जलकर राख बन गया। ये घटना प्रेमनगर थाना क्षेत्र के बिजौली स्थित औद्योगिक एरिया में हुई थी। 6 घंटे की नींद ले चुका था सुजीत वर्कर सुजीत ने बताया- मैं शनिवार रात 8:30 बजे सो गया था। रात 2:30 बजे एकदम रोशनी हुई। नींद खुली तो फैक्ट्री के अंदर भयंकर आग लगी थी। आनन फानन में उठा और मैं चिल्लाने लगा कि जल्दी निकलो, आग लग गई है। मैंने अपने साथी टुन्ना और मनीष को जगाया। हम तीनों भागकर बाहर आ गए। तब राहत की सांस ली। वहीं, वर्कर मनीष ने बताया- लगभग 2:30 बजे सुजीत ने जगाया कि आग लग गई। बाहर दो लोग हमारी मदद के लिए खड़े थे। हम तीनों भागकर बाहर आ गए। गाड़ियां बाहर निकाली। तब तक फायरबिग्रेड भी आ चुकी थी। देखते ही देखते आग बढ़ती चली गई। बाकई सुजीत व उन दो लोगों ने जान बचाई है, अगर दो मिनट की देरी हो जाती और समय रहते नहीं जागते, तो आज जिंदा नहीं होते। रेट गिरने से डेढ़ साल से माल नहीं बेचा सीपरी बाजार में नंदनपुरा निवासी साजिद खान पुत्र गफ्फार खान ने बताया- मैं प्लास्टिक स्क्रैप का काम करता हूं। लगभग 5 साल पहले बिजौली के औद्योगिक एरिया में किराए की बिल्डिंग में फैक्ट्री खोली थी। यहां मशीन से पुरानी प्लास्टिक काटकर ठोस माल बनाते थे। फिर दिल्ली, कानपुर, इंदौर बेचा करते थे। रेट गिरने की वजह से लगभग डेढ़ साल से माल नहीं बेच रहे थे। फैक्ट्री में लगभग 4 से 5 करोड़ का माल रखा हुआ था। शनिवार शाम करीब 7 बजे फैक्ट्री से घर गया था। फोन आने पर नींद खुली साजिद ने आगे बताया- फैक्ट्री में सुजीत, मनीष और टुन्ना नाम के 3 वर्कर रहते थे। तीनों रात को खाना खाकर सो गए। देर रात लगभग 2:30 बजे अचानक आग लग गई। देखते ही देखते आग की लपटे 50 से 60 फीट ऊंची उठने लगी। यह देखकर आसपास की फैक्ट्री वाले आ गए। आग देखकर सुजीत की नींद खुल गई। उसने टुन्ना और मनीष को जगाया। तब तीनों बाहर आ गए। बाहर पुलिस और काफी लोग मौजूद थे। मुझे 3 बजे कॉल आया तो हम लोग भी आ गए। तब तक दमकल आ चुकी थी। आग से लगभग 6 रुपए का नुकसान हुआ है। बिजली कनेक्शन तक नहीं था साजिश ने बताया- फैक्ट्री के अंदर बिजली कनेक्शन तक नहीं था। हम लोग जनरेटर चलाकर मशीन चलाया करते थे। ऐसे में शॉर्ट सर्किट की कोई गुंजाइश नहीं है। पास में फैक्ट्री में जरूर बेल्डिंग का काम होता है। उसी तरफ से आग लगी है। हालांकि आग कैसे लगी, यह स्पष्ट नहीं हो पाया। साजिद के भाई जाकिर ने बताया- फैक्ट्री लगभग 30 हजार वर्कफीट में बनी है। इसमें 10 से 15 फीट ऊंचाई तक माल रखा था। आग इतनी भीषण थी कि एक किलोमीटर दूर से नजर आ रही थी। पूरा माल पिघलकर खराब हो गया। 15 दमकल गाड़ियों ने लगभग 70 फेरे लगाए। बगल की फैक्ट्री से भी पानी लिया है। तब जाकर आग पर काबू पाया जा सका।


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