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लड़कियां रक्तदान नहीं कर सकतीं, इस मिथक को खुशी मिश्रा ने तोड़ा

बेगूसराय| लड़कियां रक्तदान नहीं कर सकती हैं, इस मिथक को खुशी मिश्रा ने तोड़ने का काम किया है। वे वर्ष 2019 से अबतक 8 बार रक्तदान की हैं। वहीं उन्होंने सामाजिक संगठन जयमंगला वाहिनी परिवार से जुड़कर लोगों के बीच जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। इससे जिले में रक्तदान को लेकर लड़कियां एवं महिलाएं आगे आने लगी हैं। खुशी मिश्रा के इस योगदान को देखते हुए विश्व रक्तदान दिवस पर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री द्वारा पटना में सम्मानित भी किया गया है। वे बताती हैं कि स्कूली जीवन से ही सामाजिक गतिविधि से जुड़े रहना उन्हें अच्छा लगता है। इस दौरान वर्ष 2019 में जयमंगला वाहिनी परिवार से जुड़ गई और पहला रक्तदान की। इसके बाद समय-समय पर रक्तदान करना शुरू किया। लड़कियों को प्रेरित करना उनका है दायित्व संगठन के सभी कार्यक्रम में लड़कियों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करना उनका मुख्य दायित्व है। इससे अबतक एक दर्जन से ज्यादा महिलाएं संगठन में सक्रिय रूप से जुड़ गई है। इसके साथ-साथ समय समय पर काफी संख्या में कॉलेज की छात्रा कार्यक्रम में भाग लेती हैं। इसकी वजह से आज जिले में रक्तदान करने वाली लड़कियां एवं महिलाओं की एक श्रृंखला बन गई है। इससे लड़कियां रक्तदान नहीं कर सकती हैं, यह मिथक अब पूरी तरह से जिले में समाप्त हो गई है। अब जहां भी रक्तदान शिविर लगता है, वहां रक्तदान करने में महिलाएं पीछे नहीं रहती हैं। साथ ही परिवार के किसी भी लोग को रक्त की जरूरत पड़ती है, तो महिलाएं स्वतः रक्तदान करने के लिए आगे आ रही हैं। खुशी मिश्रा बताती हैं कि किसी जरूरतमंद की सहायता करना, सामाजिक कार्यों में भागीदारी निभाना उन्हें आत्मिक संतोष और नई ऊर्जा देती है। खुशी िमश्रा-8789331198


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