भारत की राजधानी नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई-कमीशन के बाहर हुए प्रदर्शन को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। यह प्रदर्शन बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या के विरोध में किया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ किया कि यह प्रदर्शन बेहद छोटा और शांतिपूर्ण था। इससे बांग्लादेश उच्चायोग की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं था। उन्होंने कहा कि इस घटना को लेकर बांग्लादेश के कुछ मीडिया संस्थानों में भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। हकीकत यह है कि प्रदर्शन में सिर्फ 20 से 25 युवा शामिल थे। बांग्लादेश ने भारत के इस बयान को खारिज करते हुए कहा है कि स्थिति इससे कहीं ज्यादा गंभीर थी। ढाका ने कहा कि इस घटना को भ्रामक प्रचार कहना ठीक नहीं है। बांग्लादेश हाई-कमीशन के बाहर प्रदर्शन का वीडियो बांग्लादेश बोला- भारत ने मामले को हल्का बताया बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार एम. तौहीद हुसैन ने कहा कि भारत ने इस घटना को जरूरत से ज्यादा हल्का बनाकर पेश किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि 25–30 लोगों का समूह इतने सुरक्षित कूटनीतिक क्षेत्र तक कैसे पहुंच गया। उनका कहना था कि सामान्य परिस्थितियों में ऐसा संभव नहीं होना चाहिए था, जब तक कि उन्हें वहां तक पहुंचने की अनुमति न दी गई हो। तौहीद हुसैन ने यह भी कहा कि प्रदर्शन में सिर्फ हत्या के विरोध तक ही सीमित नारे नहीं लगे, बल्कि अन्य बयान भी दिए गए। उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेशी मीडिया में छपी खबरें भ्रामक नहीं थीं और काफी हद तक सही थीं। ईशनिंदा के झूठे आरोप में दीपू की हत्या बांग्लादेश में गुरुवार देर रात हिंसक प्रदर्शनकारियों के हमले में मारे गए हिंदू युवक के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। दावा किया जा रहा था कि मृतक दीपू चंद्र दास ने फेसबुक पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी की थी। लेकिन अब जांच में ऐसी किसी टिप्पणी के सबूत नहीं मिले हैं। बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन के कंपनी कमांडर मोहम्मद शम्सुज्जमान ने बांग्लादेशी अखबार ‘द डेली स्टार’ को बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे यह कहा जा सके कि दास ने फेसबुक पर कुछ ऐसा लिखा था जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती थीं। दीपू के हत्या के मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सहकर्मियों को भी ईशनिंदा की जानकारी नहीं हमले में मारे गए 25 साल के दीपू चंद्र दास ढाका के नजदीक भालुका में एक कपड़ा कारखाने में काम करते थे। इसी कारखाने की बाहर उनकी हत्या की गई थी। शम्सुज्जमान ने बताया कि स्थानीय लोगों और कपड़ा कारखाने में दास के साथ काम करने वालों से भी ईशनिंदा करने से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिला है जिसने दावा किया हो कि उसने स्वयं ईशनिंदा जैसा कुछ ऐसा सुना या देखा है जिससे धर्म को ठेस पहुंची हो। बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के मुताबिक, दास के शव को नग्न करके एक पेड़ से लटका कर आग लगा दी थी। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें लोग ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगाते दिख रहे हैं। हिंदू रिक्शा चालक से मारपीट, कलावा पहना था बांग्लादेश के पश्चिमी जिले झेनाइदह में शुक्रवार को एक हिंदू रिक्शा चालक के साथ भीड़ ने मारपीट की। आरोप है कि उसके हाथ में कलावा देखकर लोगों ने उसे निशाना बनाया। पीड़ित की पहचान गोविंदा बिस्वास के रूप में हुई है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, मौके पर यह अफवाह फैल गई कि वह भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) से जुड़ा है। इसके बाद भीड़ तेजी से बढ़ी और उसे पीटना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि हमले में कुछ स्थानीय मौलवी भी शामिल थे। घटना झेनाइदह के मेट्रोपॉलिटन ऑफिस के पास हुई। बाद में पुलिस उसे हिरासत में लेकर थाने ले आई। उसका रिक्शा बाद में अलग पुलिस टीम ने बरामद किया। झेनाइदह सदर थाना प्रभारी एमडी शमसुल अरेफिन ने बताया कि भीड़ के बीच फंसने के कारण पीड़ित को तुरंत हटाना जरूरी था। अधिकारियों के मुताबिक, पीड़ित की मां के थाने पहुंचने के बाद उसे सुरक्षित छोड़ दिया गया। —————————-
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