अखिल विश्व गायत्री परिवार के उत्तर जोन के प्रभारी परमानंद द्विवेदी आज गायत्री शक्तिपीठ गोमती नगर, लखनऊ पहुंचे। उन्होंने अखंड दीप शताब्दी वर्ष और बंदनीया माताजी भगवती देवी शर्मा की जन्म शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों के संदर्भ में लखनऊ गायत्री परिवार के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। परमानंद द्विवेदी ने गायत्री की व्याख्या करते हुए बताया कि मनुष्य को भौतिक संपदा के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके साथ ही उसे अपनी आंतरिक शक्तियां, जिनमें तेजस्विता, ईश्वर निष्ठा और समझदारी के गुण शामिल हैं, विकसित करनी चाहिए। मनुष्य के उत्थान के लिए स्वयं प्रयास करना चाहिए उन्होंने कहा कि इस भौतिक समाज में हमें सरकारों द्वारा भौतिक सुविधाएं मिलती हैं, परंतु मनुष्य के उत्थान के लिए उसे स्वयं में प्रयास करते रहना चाहिए। इसके लिए उसे सामाजिक कार्यों को करते हुए आत्म-शोधन का प्रयास करते रहना चाहिए।द्विवेदी ने जोर दिया कि यदि हमने आत्म-परिष्कार कर लिया, तो निश्चित रूप से हमारे जीवन का उद्देश्य सार्थक होगा। यदि हम दुर्बलताओं से घिरे रहे, तो मनुष्य की योनि प्राप्त करने के बाद भी जड़ता में ही फंसे रह जाएंगे और हमारा जीवन नष्ट हो जाएगा। जोनों के समन्वयकों ने अपने-अपने क्षेत्र की प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की द्विवेदी ने बताया कि परम पूज्य गुरुदेव ने हमें अपने आप का समग्र विकास करने और अपने अंदर के अवगुणों एवं विकृतियों को नष्ट करने का अवसर प्रदान किया है। यदि हम इन विकृतियों को नष्ट करने में सक्षम हो सके, तो निश्चित रूप से हम सब सही मार्ग पर चल सकेंगे।इस कार्यकर्ता गोष्ठी में अयोध्या जोन के प्रभारी देशबंधु तिवारी, उपजोन के प्रभारी अनूप श्रीवास्तव, सुरेंद्र सिंह और लखनऊ जिला के समन्वयक अतुल सिंह भी उपस्थित रहे। नौ जोनों के समन्वयकों ने अपने-अपने क्षेत्र की प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की। ये लोग शामिल हुए गायत्री शक्तिपीठ गोमती नगर के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी शिव शंकर मिश्रा, पूर्व मुख्य प्रबंध ट्रस्टी एस पी अवस्थी, सहायक प्रबंध ट्रस्टी माधुरी पांडे, विश्वनाथ शुक्ला, डॉक्टर आरती वर्मा, महिपाल, सुरेश चंद यादव, जगदीश नारायण श्रीवास्तव, अरुण श्रीवास्तव, सरोज और गोमती नगर प्रभारी दिनेश यादव सहित सैकड़ों भाई-बहनों ने इस गोष्ठी में भाग लिया।
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