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एपस्टीन फाइल्स को लेकर ट्रंप प्रशासन पर बवाल, अमेरिकी न्याय विभाग पर गंभीर आरोप

वॉशिंगटन में शुक्रवार देर शाम जो हुआ, उसने अमेरिकी राजनीति और न्याय व्यवस्था में हलचल मचा दी है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के न्याय विभाग द्वारा जेफ्री एपस्टीन से जुड़े दस्तावेजों का सीमित और भारी तौर पर काट-छांट किया हुआ संस्करण सार्वजनिक किए जाने के बाद तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि यह कदम उस कानून का उल्लंघन है, जिसमें तय तारीख तक लगभग सभी फाइलें सार्वजनिक करने का प्रावधान था।
बता दें कि कैलिफोर्निया से डेमोक्रेट सांसद रो खन्ना ने, जो रिपब्लिकन सांसद थॉमस मैसी के साथ मिलकर एपस्टीन ट्रांसपेरेंसी एक्ट के सह-लेखक हैं, एक वीडियो बयान में कहा कि न्याय विभाग की ओर से जारी किए गए दस्तावेज अधूरे हैं और उनमें जरूरत से ज्यादा रेडैक्शन किया गया है। उनके मुताबिक, यह न तो कानून की भावना के अनुरूप है और न ही उसके अक्षरशः पालन जैसा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि न्याय विभाग के अधिकारियों के खिलाफ महाभियोग, कांग्रेस की अवमानना और न्याय में बाधा डालने के आरोपों पर विचार किया जा रहा है।
गौरतलब है कि शनिवार को भी असंतोष कम नहीं हुआ। न्याय विभाग की वेबसाइट से बिना किसी स्पष्टीकरण के एपस्टीन से जुड़ी कम से कम 16 फाइलें हटा ली गईं। मौजूद जानकारी के अनुसार, हटाए गए दस्तावेजों में कुछ तस्वीरें भी शामिल थीं, जिनमें एक तस्वीर में डोनाल्ड ट्रंप, मेलानिया ट्रंप, जेफ्री एपस्टीन और गिसलेन मैक्सवेल एक साथ दिखाई देते हैं। इन फाइलों के अचानक गायब होने से अटकलें और तेज हो गईं।
इस मुद्दे पर रिपब्लिकन सांसद थॉमस मैसी ने भी सोशल मीडिया पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह कानून सामान्य संसदीय समन जैसा नहीं है, जिसकी मियाद खत्म हो जाए। उनके अनुसार, भविष्य में कोई भी न्याय विभाग मौजूदा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। डेमोक्रेटिक नेताओं ने भी इसे अमेरिकी इतिहास के सबसे बड़े कवर-अप में से एक बताया।
सीनेट में डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर ने कहा कि दस्तावेजों को जिस तरह से जारी किया गया, वह पारदर्शिता की भावना और कानून दोनों का उल्लंघन है। वहीं न्यूयॉर्क से सांसद एलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि ताकतवर और प्रभावशाली लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को इस्तीफा देना चाहिए।
हालांकि, न्याय विभाग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि वह कानून का पालन कर रहा है। विभाग के सोशल मीडिया अकाउंट से कहा गया कि किसी भी राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति का नाम छिपाया नहीं गया है और सभी संदर्भ सार्वजनिक किए गए हैं। विभाग ने यह भी तर्क दिया कि पीड़ितों की सुरक्षा और चल रही जांच को देखते हुए कुछ दस्तावेजों में देरी और संपादन जरूरी था।
मौजूदा हालात में यह मामला सिर्फ दस्तावेजों की रिलीज तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह ट्रंप प्रशासन की पारदर्शिता, जवाबदेही और कानून के पालन पर भी सवाल खड़े कर रहा है। आने वाले दिनों में इस पर कानूनी और राजनीतिक लड़ाई और तेज होने की संभावना बनी हुई हैं।


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