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कटिहार में अतिक्रमण पर दोहरी नीति, बुलडोजर भी, टैक्स भी!:जिसे प्रशासन कहता है ‘अवैध’, उसी जगह के लिए नगर निकाय वसूल रहे रोजाना पैसा

कटिहार में अतिक्रमण को लेकर एक अजीब और चौंकाने वाली विडंबना सामने आ रही है। एक तरफ जिला प्रशासन सड़क किनारे दुकानों को अतिक्रमण मानते हुए बुलडोजर चलाने की तैयारी में है, तो दूसरी ओर नगर निगम और नगर पंचायत के कर्मी उन्हीं दुकानों से रोजाना टैक्स के नाम पर वसूली कर रहे हैं। इस कथित दोहरे रवैये को लेकर अब दुकानदारों और आम लोगों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। न्यू मार्केट में हटाओ भी, वसूलो भी की नीति नगर निगम क्षेत्र के न्यू मार्केट इलाके में इन दिनों अतिक्रमण हटाने को लेकर सख्ती की जा रही है। सड़क किनारे लगी दुकानों को हटाने की चेतावनी दी जा रही है, लेकिन दुकानदारों का आरोप है कि इसी दौरान निगम के नाम पर ₹10 से ₹12 तक की बटी भी रोज वसूली जा रही है। दुकानदारों का कहना है कि वसूली करने वाले कर्मी किसी को रसीद देते हैं, किसी को नहीं। इससे साफ होता है कि पूरा खेल पारदर्शी नहीं है। लोगों का सवाल है कि अगर सड़क किनारे दुकान लगाना गैरकानूनी है, तो फिर वहां से टैक्स किस आधार पर लिया जा रहा है? नगर आयुक्त बोले- दोषियों पर होगी कार्रवाई मामले पर नगर आयुक्त संतोष कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सड़क किनारे अतिक्रमण पूरी तरह अवैध है और इसे किसी भी हाल में बढ़ने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पील लाइन के अंदर दुकान लगाने की अनुमति है, लेकिन डिवाइडर या सड़क के बीच दुकान लगाने की इजाजत नहीं है। नगर आयुक्त ने कहा, अगर कोई निगम कर्मी अवैध रूप से वसूली कर रहा है या रसीद देकर सड़क किनारे दुकान लगाने की अनुमति दे रहा है, तो यह गंभीर मामला है। दोषी पाए जाने पर संबंधित कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अब कोढ़ा नगर पंचायत की कहानी कटिहार के कोढ़ा नगर पंचायत क्षेत्र से गुजरने वाले NH-31 के किनारे रोजी-रोटी चलाने वाले गरीब फुटकर दुकानदारों की स्थिति और भी गंभीर है। यहां एक तरफ जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाकर दुकानदारों को खदेड़ता है, तो दूसरी तरफ नगर पंचायत के कर्मी और ठेकेदार उसी जगह दुकान लगाने के नाम पर पीली रसीद थमाकर रोजाना ₹10 से ₹25 तक की वसूली कर रहे हैं। सब्जी, फल, ठेला और छोटी दुकान लगाने वाले दुकानदारों का आरोप है कि पैसा नहीं देने पर उन्हें धमकाया जाता है, दुकान उठाकर फेंक देंगे। गेराबाड़ी बाजार और आसपास के इलाकों में यह खेल खुलेआम चल रहा है। गरीब दुकानदारों की पीड़ा मीना देवी रोज अमोल से पपीता बेचने आती हैं। उनकी दिनभर की कमाई मुश्किल से ₹100–200 होती है, लेकिन टैक्स के नाम पर उनसे जबरन ₹10 ले लिया जाता है। ललिता देवी, उर्मिला, सुनीता देवी और ओमप्रकाश जैसे दर्जनों दुकानदारों की पीड़ा एक जैसी है- पहले रसीद कटती है, फिर कमाई होती है। 16 लाख की हाट डाक और ठेकेदारों की भरपाई इस अवैध वसूली के पीछे ₹16 लाख की हाट डाक को बड़ा कारण बताया जा रहा है। मुख्य पार्षद का तर्क है कि इतनी बड़ी रकम देने वाले ठेकेदार अपनी भरपाई तो करेंगे ही। इसी भरपाई के नाम पर हाट क्षेत्र से बाहर निकलकर NH-31 किनारे बैठे गरीब दुकानदारों से भी पैसा वसूला जा रहा है। यहां सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है, जब सड़क किनारे दुकान लगाना गैरकानूनी है, जब NH की जमीन पर नगर पंचायत का अधिकार ही विवादित है,तो वहां से टैक्स वसूली कैसे जायज हो सकती है? विधायक ने कहा- वसूली गैरकानूनी मामला जब विधायक कविता पासवान तक पहुंचा तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि NH-31 किनारे गरीब सब्जी विक्रेताओं से वसूली पूरी तरह गलत है और इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।वहीं, कार्यपालक पदाधिकारी का भी दावा है कि सड़क किनारे किसी तरह का टैक्स नहीं लिया जाता। जमीनी हकीकत कुछ और कागजों में भले ही टैक्स वसूली से इनकार किया जा रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। सवाल यह है कि क्या अतिक्रमण हटाओ अभियान वास्तव में अवैध कब्जे के खिलाफ है, या फिर यह सिर्फ गरीब दुकानदारों पर दबाव बनाने का एक जरिया बनकर रह गया है?


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