चित्रकूट धाम में 17 से 20 दिसंबर तक आयोजित विराट 151 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का समापन हो गया। बंदिनीया माता जी की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में यह चार दिवसीय आयोजन किया गया था। इस महायज्ञ ने आध्यात्मिक चेतना, सामाजिक समरसता और राष्ट्रभाव का संदेश दिया। गायत्री शक्तिपीठ के संचालक डॉ. रामनारायण त्रिपाठी ने आयोजन की सफलता पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी सहयोगी संगठनों, साधकों, श्रद्धालुओं और देशभर से आए अतिथियों का धन्यवाद किया। महायज्ञ के पहले दिन एक विशाल कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें लगभग 50 हजार श्रद्धालुओं ने भाग लिया। स्थानीय विद्यालयों और सामाजिक संगठनों की झांकियों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। चित्रकूट के सभी सातों निशान और अखाड़ों के संतों के सहयोग से यह यात्रा ऐतिहासिक रही। शुभारंभ अवसर पर प्रमिला पांडे, रंजना उपाध्याय और दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अभय महाजन सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। दूसरे दिन देव पूजन और बौद्धिक सत्र का आयोजन किया गया। इसमें स्वांत रंजन, मानसिंह और रवि चाणक्य सहित देशभर के विचारक शामिल हुए। घने कोहरे के बावजूद यज्ञशाला में 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने आहुतियां अर्पित कीं। देखें 8 तस्वीरें…. तीसरे दिन विराट दीप महायज्ञ और प्रातःकालीन यज्ञ संपन्न हुआ। इसमें अजीत महापात्र और अनिल जी जैसे वरिष्ठ प्रचारक उपस्थित रहे। चौथे दिन कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी, सतना सांसद गणेश सिंह और चित्रकूट विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार सहित कई संत-महंतों ने आहुतियां दीं। दीप महायज्ञ के दौरान देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या का वीडियो संदेश प्रसारित किया गया। खराब मौसम के कारण वे स्वयं उपस्थित नहीं हो सके, लेकिन उनके संदेश ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। इस आयोजन में चित्रकूट के साथ-साथ सतना, बांदा, कौशांबी, प्रयागराज, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचे। खराब मौसम के बावजूद श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं हुई। भोजन, आवास और यज्ञ की उत्तम व्यवस्थाओं की सराहना की गई, जिससे यह आयोजन सफल रहा।
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