मुजफ्फरनगर सांसद हरेन्द्र सिंह मलिक ने मुजफ्फरनगर नगर पालिका परिषद में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने इस संबंध में प्रमुख सचिव को पत्र भेजकर शिकायत दर्ज कराई है। सांसद मलिक ने दावा किया है कि पालिका प्रशासन ने निजी लाभ के लिए करोड़ों रुपये की वित्तीय हानि पहुंचाई है। उन्होंने अपनी शिकायत में आठ प्रमुख बिंदुओं पर तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है। शिकायत के पहले बिंदु में, स्वास्थ्य विभाग में कूड़ा वाहनों की मरम्मत का उल्लेख है। आरोप है कि एक ही परिवार की कंपनियों (मेघना, अवी, अजय आदि) को 18-20 हजार रुपये की कोटेशन पर बिल बनाकर करीब 60 लाख रुपये का भुगतान किया गया। सांसद का कहना है कि यह निजी लाभ के चलते भ्रष्टाचार है, क्योंकि कार्यों को भागों में बांटकर ऑनलाइन टेंडर किया जाना चाहिए था, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ। दूसरे बिंदु के अनुसार, नालों की सफाई में अनियमितताएं पाई गई हैं। पिछले दो वर्षों से ऑफलाइन टेंडर के जरिए चहेते ठेकेदार दिनेश कुमार जैन को लाखों का भुगतान किया जा रहा है। आरोप है कि मिलीभगत से ठेकेदार के वाहनों की बजाय पालिका के वाहनों से सफाई कर खानापूर्ति की जाती है, जबकि नाले अभी भी गाद से भरे रहते हैं। ऑनलाइन टेंडर की बजाय ऑफलाइन प्रक्रिया से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। तीसरे बिंदु में, निर्माण एवं जलकर विभाग में भी इसी तरह के भ्रष्टाचार का आरोप है। सुनील कुमार कर्णवाल जैसे ठेकेदारों को 18-20 हजार रुपये की कोटेशन पर बिल बनाकर 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया। सांसद ने कहा कि कार्यों को भागों में बांटकर ऑनलाइन टेंडर की प्रक्रिया से बचा गया, जिससे लाखों की हानि हुई। चौथे बिंदु के तहत, रामलीला पार्किंग के ठेके में भी गड़बड़ी का आरोप है। वर्ष 2024-25 का ठेका सुनील ठेकेदार को दिया गया था, जो मार्च 2025 में समाप्त हुआ। लाखों रुपये बकाया होने के बावजूद, मिलीभगत से यह ठेका अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दिया गया। सुनील ने 22 लाख रुपये का बकाया जमा नहीं किया, और पालिका ने इसकी वसूली के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। पांचवें बिंदु में, वर्ष 2025-26 के लिए पार्किंग का ठेका संजय जैन को ऑफलाइन टेंडर से 10 प्रतिशत बढ़ाकर दिया गया है। यह शासन की ऑनलाइन टेंडर नीति के विपरीत है। इसके अतिरिक्त, पार्किंग के नाम पर लाखों रुपये के निर्माण कार्य भी ऑफलाइन तरीके से कराए जा रहे हैं, जो भ्रष्टाचार का संकेत देते हैं। छठे बिंदु के अनुसार, ऑनलाइन टेंडरों में भी ठेकेदारों से पूलिंग कर 5-6 प्रतिशत कम रेट पर ठेके दिए जाते हैं। जहां साठगांठ नहीं होती, वहां 20-30 प्रतिशत कम पर। सातवें बिंदु में, निर्माण कार्यों में एक ही एफडीआर की रंगीन कॉपी कई निविदाओं में इस्तेमाल कर ठेके हथियाए जा रहे हैं। फर्जी एफडीआर पर कुछ ठेकेदारों को बाहर किया गया, लेकिन ब्लैकलिस्ट नहीं। सभी निविदाओं की जांच होनी चाहिए, खासकर दो वर्षों की। आठवें बिंदु के तहत, आईजीएल द्वारा लाइन बिछाने पर सड़कें टूटीं, जिसके लिए 5 करोड़ दिए गए। लेकिन गड्ढे नहीं भरे गए, राशि का हिसाब नहीं, टेंडर कब हुए पता नहीं। कई सड़कें पालिका ने नई बनवाईं। सांसद ने इन सभी बिंदुओं पर गहन जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है, ताकि पालिका की पारदर्शिता बहाल हो।
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