इटावा में सिंचाई विभाग के निचली गंगा नहर प्रखंड डिवीजन कार्यालय में 15 दिसंबर की रात हुए भीषण अग्निकांड का मामला दिन-ब-दिन और गंभीर होता जा रहा है। शुरुआती तौर पर आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया था, लेकिन विभागीय जांच में सामने आए तथ्यों ने इस दावे को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब यह घटना सामान्य दुर्घटना नहीं, बल्कि साजिश की ओर बढ़ती नजर आ रही है। विभागीय जांच में सामने आई सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, घटना वाली रात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भरत कुमार रात करीब 11 बजकर 02 मिनट पर कार्यालय में प्रवेश करता दिखाई देता है और रात 12 बजकर 09 मिनट पर बाहर निकलता है। फुटेज में उसके हाथ में एक कागज भी नजर आ रहा है, जिसे लेकर आशंका जताई जा रही है कि वह कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज हो सकता है। इसके कुछ देर बाद ही कार्यालय परिसर से धुआं उठने और आग लगने की सूचना मिली, जिससे पूरे मामले पर संदेह और गहरा गया है। इन तथ्यों को गंभीर मानते हुए विभागीय जांच कमेटी ने भरत कुमार को निलंबित करने की संस्तुति की थी, जिस पर तत्काल कार्रवाई की गई। इससे पहले लापरवाही के आरोप में चौकीदार बलवीर को निलंबित किया जा चुका है। अब जांच के दौरान तीसरे कर्मचारी राजवीर उर्फ पिंटू निवासी दतावली की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। राजवीर को अक्टूबर माह में ड्यूटी पर लापरवाही के आरोप में मैनपुरी के कटरा समान स्थान पर स्थानांतरित किया गया था, लेकिन जांच टीम को आशंका है कि अग्निकांड में उसकी भी किसी न किसी रूप में संलिप्तता हो सकती है। इसी आधार पर उसे भी निलंबित कर दिया गया है। इस तरह अब तक तीन कर्मचारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। उच्चस्तरीय कमेटी कर रही गहन जांच अधीक्षण अभियंता अमिताभ कुमार के निर्देशन में गठित उच्चस्तरीय जांच कमेटी पूरे मामले की बारीकी से जांच कर रही है। कमेटी की अध्यक्षता औरैया के अधिशाषी अभियंता संजय कुमार कर रहे हैं। अधिशाषी अभियंता राकेश कुमार ने बताया कि गुरुवार को कमेटी ने कार्यालय का स्थलीय निरीक्षण किया, सीसीटीवी फुटेज खंगाली और आग में जले दस्तावेजों की भी जांच की। इन तथ्यों के आधार पर राजवीर को निलंबित करने का निर्णय लिया गया। नामजद तहरीर, फिर भी एफआईआर नहीं मामले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता की ओर से सिविल लाइन थाने में नामजद कर्मचारी भारत सिंह के खिलाफ तहरीर दी गई थी, लेकिन अब तक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। इसे लेकर विभागीय अधिकारियों में पुलिस की कार्यशैली को लेकर नाराजगी है। इस संबंध में थाना सिविल लाइन के इंस्पेक्टर सुनील कुमार का कहना है कि मामला सरकारी कर्मचारी से जुड़ा हुआ है, इसलिए जांच कमेटी द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के लिए औपचारिक प्रार्थना पत्र मिलने के बाद ही मुकदमा दर्ज किया जाएगा। महत्वपूर्ण दस्तावेजों के जलने, सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध गतिविधियों और कर्मचारियों पर लगातार हो रही कार्रवाई के बाद यह सवाल और गहरा हो गया है कि यह आग एक हादसा थी या फिर किसी साजिश के तहत लगाई गई। अब सबकी नजरें जांच कमेटी की अंतिम रिपोर्ट और पुलिस की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
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