कुशीनगर में भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण भूमि, विश्व शांति और करुणा का प्रतीक है। यहां स्थित रामभर स्तूप और महापरिनिर्वाण मंदिर बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल हैं, जहां दुनियाभर से श्रद्धालु और पर्यटक दर्शन के लिए आते हैं। हालांकि, इन पवित्र स्थलों के आसपास बढ़ती भिखारियों की संख्या पर्यटकों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। जैसे ही कोई वीआईपी बस या विदेशी पर्यटक समूह यहां पहुंचता है, छोटे बच्चों से लेकर बड़े उम्र तक के भिखारी कतार में खड़े दिखाई देते हैं। उनके भीख मांगने का तरीका अक्सर आक्रामक होता है, वे तब तक पर्यटकों का पीछा करते हैं जब तक उन्हें पैसे न मिल जाएं। कुछ भिखारी हाथ में कमल का फूल या माला लेकर भावनात्मक रूप से श्रद्धालुओं से अच्छी-खासी रकम वसूलते हैं। इसके अलावा, मंदिर परिसर और आसपास के कुछ लोग पर्यटकों के जूते पहनने का काम भी करते हैं, जिसके बदले उन्हें अक्सर विदेशी मुद्रा मिलती है। यह स्थिति न केवल व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि बच्चों के भविष्य को लेकर भी चिंता पैदा करती है। रामभर स्तूप के पास एक छोटी बच्ची ढोलक बजाकर गीत गाते हुए पर्यटकों का मनोरंजन कर रही थी। बच्ची ने बताया कि वह कक्षा सात की छात्रा है और ढोलक बजाकर मिलने वाले पैसों से उसके घर का खर्च चलता है। यह दृश्य स्थानीय बच्चों की शिक्षा और आजीविका से जुड़ी चुनौतियों को उजागर करता है। कुशीनगर को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विशेष रूप से हीरावती नदी के कायाकल्प का कार्य प्रगति पर है, जिसका उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना है। इन प्रयासों के बीच, भिखारियों की समस्या का समाधान भी एक महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है।
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