वाराणसी में 85 दिन बाद शुरू होगा नाव संचालन:प्रशासन और नाविकों की हुई बैठक,आरती के समय अभी भी रहेगा प्रतिबंध
वाराणसी में गंगा नदी पर चलने वाली मोटर बोटों की सुरक्षा और संचालन व्यवस्था को लेकर रविवार को जल पुलिस परिसर में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में एसीपी जल पुलिस, प्रभारी निरीक्षक जल पुलिस के साथ माझी समाज के अध्यक्ष, मोटर बोट मालिकों, मां गंगा निषाद राज सेवा न्यास संगठन के मंत्री एवं भाजपा महानगर निषाद समाज के सहसंयोजक सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। बैठक का संचालन वरिष्ठ समाजसेवी शंभू निषाद के नेतृत्व में किया गया। बैठक का मुख्य उद्देश्य वाराणसी के घाटों पर मोटर बोट संचालन की व्यवस्थाओं को सुरक्षित, सुव्यवस्थित एवं पर्यावरण के अनुकूल बनाना था। यह निर्णय वर्तमान में गंगा नदी के जलस्तर में हो रहे उतार-चढ़ाव और सुरक्षा कारणों के मद्देनज़र लिया गया। बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय: इंजन की अनिवार्य सर्विसिंग और निरीक्षण – सभी मोटर बोट मालिकों को निर्देशित किया गया कि वे अपनी-अपनी नौकाओं के इंजन की नियमित सर्विसिंग करवाएं और मोबी ऑयल की जांच कराएं। बिना निरीक्षण के कोई भी नाव संचालन नहीं कर सकेगी। संचालन का निर्धारित समय – बोट संचालन प्रतिदिन प्रातः 6:00 बजे से सायं 5:00 बजे तक ही किया जा सकेगा। इसके पश्चात सायं 5:30 बजे तक सभी नावों को निर्धारित घाटों पर खड़ा करना अनिवार्य होगा। 5:30 बजे के बाद किसी भी स्थिति में मोटर बोट संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। क्षमता के 50% यात्री ही करें यात्रा – सुरक्षा के दृष्टिकोण से अब प्रत्येक मोटर बोट में निर्धारित यात्री क्षमता का केवल 50% ही यात्रियों को बैठाने की अनुमति होगी, ताकि संतुलन और आपात स्थिति में सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य- सभी यात्रियों को लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य किया गया है। बिना लाइफ जैकेट के किसी भी यात्री को नौका में बैठाने की अनुमति नहीं होगी। लाइफ जैकेट की उपलब्धता और स्थिति की नियमित जांच की जाएगी। घाटों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान- नावों के चढ़ने और उतरने के स्थानों की साफ-सफाई सुनिश्चित करना बोट मालिकों की जिम्मेदारी होगी। घाटों की स्वच्छता में लापरवाही पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। आरती के समय नाव संचालन पर रोक – गंगा आरती के समय फिलहाल किसी भी नाव के संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। स्थिति की समीक्षा कर 23 सितंबर 2025 से संचालन पर पुनर्विचार किया जाएगा, जिसके लिए उच्च अधिकारियों से अनुमति आवश्यक होगी।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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