बदायूं के उसहैत थाना पुलिस की कार्यशैली इन दिनों विवादों में घिरती नजर आ रही है। नाबालिगों से जुड़े आपराधिक मामलों में पुलिस उनके माता-पिता और परिजनों को जेल भेज रही है। बीते एक माह में सामने आए तीन मामलों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उसहैत थाना क्षेत्र में कानून सुधार का माध्यम है या दबाव और दंड का हथियार। 22 नवंबर को कस्बे के चमेली देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा सात-आठ की छात्राओं की पानी की बोतलों में पेशाब भरने और विद्यालय की दीवारों पर अश्लील शब्द लिखने की घटना सामने आई थी। आरोप नाबालिग लड़कों पर लगे और मुकदमा भी उन्हीं के खिलाफ दर्ज हुआ, लेकिन पुलिस ने नाबालिगों के पिता इशरत अली, मोहम्मद अहमद, साबिर अली और शराफत अली को जेल भेज दिया। इसी तरह 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री की फोटो एडिट कर उस पर अभद्र टिप्पणी लिखने के मामले में आरोप एक नाबालिग छात्रा पर लगा, लेकिन पुलिस ने उसके भाई दुष्यंत कुमार को जेल भेज दिया। ठीक इसी तरह 17 दिसंबर को कक्षा आठ की छात्रा के पिता की शिकायत पर चार नाबालिग बच्चों के खिलाफ अश्लीलता और छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज हुआ। यहां पुलिस ने नाबालिगों के बजाय उनकी माताओं—रेश्मा, जमरुदजहां, शबानाबेगम और नाहिरा—को जेल भेज दिया। इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि निरंकुश पुलिस अब कानून की सीमाएं लांघने लगी है। एसएचओ अजयपाल सिंह ने बताया कि बच्चों को उनके माता पिता ही गलत संस्कार दे रहे हैं, इसलिए उन पर कार्रवाई कर देते हैं।
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