7वें कानपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज शनिवार को हुआ। कमलानगर स्थित गौर हरि सिंहानिया मैनेजमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट में दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरूआत हुई। पहले दिन सुर, संगीत और साहित्य की महफिल सजाई गई। जिसमें कलाकारों और अभिनेताओं ने अपने अनुभव साझा किए। फैस्टिवल का आगाज सुमंत्रो घोषाल की फिल्म ‘द स्पीकिंग हैंड्स’ से हुआ। ज़ाकिर हुसैन के जीवन चरित्र पर इस फिल्म में उनके शुरुआती दिन, सफर और संघर्ष की कहानी को दिखाया गया। बड़ी संख्या में दर्शकों ने कार्यक्रम में मौजूद रहकर उनके जीवन पर आधारित इस फिल्म को देखा। जिसके बाद विभिन्न कार्यक्रम शुरू हुए। कला ही मनुष्यता को बचाएगी कार्यक्रम के दौरान कविताओं की विशेषताओं को जानने के लिए ‘कविता कथा’ सत्र का आयोजन किया गया। इसका संचालन लेखिका अनीता मिश्रा ने किया। इसमें प्रख्यात कवि नरेश सक्सेना से हुई बात-चीत में उन्होंने कहा कला ही मनुष्यता को बचाएगी, कविता कला का अजीज़ हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कविता में भावुकता की समझ आकार लेती है, इसी के साथ उन्होंने अपनी चर्चित कविताओं में ”पानी मछलियों का देश है मगर मछलियाँ अपने देश के बारे में कुछ भी नहीं जानती है। पुल पार करने से पुल पार होता है, नदी पार नहीं होती तथा चंबल एक नदी का नाम सुना कर तालियां बटोरी। अभिनेता जीशान ने मिमीक्री की फेस्टिवल में चर्चित अभिनेता ज़ीशान अयूब ने फिल्मी अनुभवों को साझा किया। उन्होंने थिएटर की दुनिया की चुनौतियों और युवा कलाकारों के संघर्ष पर आरजे काजल से बात की और अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि फिल्म में बड़ा ब्रेक मिलना, थियटर के कॉमर्शियल सक्सेस से संभव नहीं हैं, दोनों अलग-अगल विधा हैं। अभिनेता बनने के लिए पहला पायदान थियेटर नहीं मेहनत होनी चाहिए। जीशान ने पीयूष मिश्रा के साथ फोन पर हुई एक दिलचस्प बातचीत को किस्से के रूप में भी सुनाया और उनकी आवाज की जबरदस्त मिमिक्री भी की। वहीं अंतिम सत्र में संगीतकार शांतनू मोइत्रा ने अपनी साइकिल यात्रा के अनुभव साझा करते हुए संगीतमई प्रस्तुति दी।
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