मिर्जापुर में संस्कार भारती के तत्वावधान में लालडिग्गी स्थित बिड़ला सभागार में शनिवार को ‘संघ गंगा के तीन भगीरथ’ नाटक का मंचन किया गया। इस नाटक के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सौ वर्ष की यात्रा को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया गया। नागपुर से आए 30 कलाकारों ने यह प्रस्तुति दी। नाटक में संघ के प्रथम तीन सरसंघचालकों डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, माधव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरुजी) और मधुकर दत्तात्रेय देवरस के जीवन, विचारों, संघर्षों और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को दर्शाया गया। नाटक की शुरुआत केशव के ऋग्वेद शिक्षक वझे गुरुजी “नानाजी वझे” के साथ होती है, जिसमें बालक केशव की राष्ट्रभक्ति और छत्रपति शिवाजी के आदर्शों से प्रभावित व्यक्तित्व का चित्रण किया गया। इसमें केशव द्वारा कलकत्ता जाकर डॉक्टर बनने और फिर राष्ट्रसेवा के लिए स्वयं को समर्पित करने का प्रसंग भी शामिल था। संघ की स्थापना का संकल्प, संगठन विस्तार की योजना और महात्मा गांधी से डॉ. हेडगेवार की भेंट के प्रसंग भी दिखाए गए। गुरुजी के जीवन प्रसंगों में अखंडानंद के साथ उनका प्रवास, नागपुर लौटना, संघ का दायित्व संभालना और उनका अंतिम भाषण शामिल था। सरदार वल्लभभाई पटेल और गुरुजी के बीच संवाद, कश्मीर का भारत में विलय और संघ पर लगे प्रतिबंध जैसे ऐतिहासिक प्रसंगों को भी मंचित किया गया। बालासाहेब देवरस के रूप में नेतृत्व हस्तांतरण, आपातकाल के दौरान संघर्ष और श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े संकेतों को नाटक में प्रस्तुत किया गया। इस नाटक का लेखन श्रीधर गाडगे ने किया, जबकि निर्देशन संजय पेंडसे और निर्माण सारिका पेंडसे का रहा। अभिनय में मनीष ऊर्दक ने डॉ. हेडगेवार, रमण सेनाड ने गुरुजी और यशवंत चोपड़े ने बालासाहेब देवरस की भूमिका निभाई। अतिथियों का स्वागत संस्कार भारती काशी प्रांत अध्यक्ष डॉ. गणेश प्रसाद अवस्थी ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री सोहन लाल श्रीमाली और पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस अवसर पर शिवराम शर्मा, विशाल मालवीय, डॉ. संदीप श्रीवास्तव, शिवलाल गुप्ता, रेखा रानी गौड़, प्रोफेसर नम्रता मिश्रा, डॉ. अरविंद अवस्थी, सोमेश्वर त्रिपाठी और संतोष तिवारी सहित कई लोग उपस्थित रहे।
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