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‘उर्दू केवल भाषा नहीं, गंगा-जमुनी तहजीब की विरासत’-DM:जहानाबाद में ‘फरोग-ए-उर्दू’ सेमिनार का उद्घाटन, शायरों ने पढ़ी शायरी

जहानाबाद के अब्दुलबारी नगर भवन में ‘फरोग-ए-उर्दू सेमिनार एवं मुशायरा’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिला पदाधिकारी (डीएम) अलंकृता पाण्डेय ने दीप प्रज्वलित कर इसका विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर जिला पदाधिकारी ने कहा कि उर्दू केवल एक भाषा नहीं, बल्कि गंगा-जमुनी तहजीब की विरासत है। उन्होंने उर्दू भाषा प्रेमियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम में शामिल होने पर आभार व्यक्त किया। उर्दू भाषा के जानकारों से प्रचार-प्रसार करने का आह्वान डीएम ने बताया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान सभी भाषाओं को प्रोत्साहित करता है। इसलिए, इस भाषाई विरासत को आगे बढ़ाना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हिंदी बोलचाल में कई ऐसे शब्द इस्तेमाल होते हैं, जिनके उर्दू मूल के बारे में लोगों को जानकारी नहीं होती। डीएम ने उर्दू भाषा के जानकारों और प्रेमियों से इसके प्रचार-प्रसार में योगदान देने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन जनाब शकील अहमद काकवी और प्रोफेसर गुलाम असदक साहेदान ने किया। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का शॉल, पौधा और मोमेंटो देकर स्वागत किया। सेमिनार में छात्र-छात्राओं ने दी लेखन प्रस्तुति सेमिनार में तीन आलेख पाठकों, तीन डेलीगेट्स और पांच-पांच छात्र-छात्राओं ने भाग लेकर अपने लेखन प्रस्तुत किए। इसके अतिरिक्त, दस शायरों ने अपनी शायरी से उपस्थित सभी श्रोताओं का मनोरंजन किया। कार्यक्रम के अंत में, जिला उर्दू भाषा कोषांग, जहानाबाद के उर्दू अनुवाद पदाधिकारी मो. नियाज़ ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।


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