चित्रकूट में त्वरित न्यायालय ने बहू से दुराचार के मामले में ससुर को 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने दोषी पर 18,000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। यह फैसला शनिवार को सुनाया गया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) सुशील कुमार सिंह ने बताया कि पीड़िता ने इस मामले में न्यायालय में धारा 156 (3) के तहत प्रार्थना पत्र दिया था। न्यायालय के आदेश पर मऊ थाने में आरोपी ससुर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। पीड़िता के अनुसार, उसकी शादी मई 2018 में हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद उसका पति मजदूरी करने के लिए बाहर चला गया। इसी दौरान, ससुर ने उसे घर में अकेला पाकर बहला-फुसलाकर और धमकाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। ससुर ने पीड़िता को धमकी दी थी कि यदि उसने किसी को बताया तो वह उसे मारकर यमुना नदी में फेंक देगा। घटना के समय पीड़िता की सास खेतों में गई हुई थीं। उनके लौटने पर पीड़िता ने उन्हें पूरी बात बताई, लेकिन उन्होंने भी उसे चुप करा दिया। इस घटना के बाद पीड़िता गर्भवती हो गई और मायके आने पर उसने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसकी कुछ दिनों बाद मृत्यु हो गई। बच्चे की मृत्यु के बाद पीड़िता को फिर से ससुराल बुला लिया गया। 26 दिसंबर 2019 की रात ससुर ने पीड़िता के साथ दोबारा जबरन दुराचार किया। अगली सुबह पीड़िता ने अपने पिता को बुलाकर घटना की जानकारी दी और मायके चली गई। इस दौरान ससुर ने शिकायत करने पर पीड़िता और उसके पिता को जान से मारने और लाश गायब करने की धमकी दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया और न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद, त्वरित न्यायालय के अपर जिला जज नीरज श्रीवास्तव ने शनिवार को इस मामले में निर्णय सुनाया। न्यायालय ने आरोपी ससुर को दोषी पाते हुए 10 वर्ष के सश्रम कारावास और 18,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।
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