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मायावती बोलीं नीतीश करें पश्चाताप:कथावाचक को सलामी देने की परेड पर तंज, बांग्लादेश पर केंद्र से सख्ती की मांग

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को बिहार से जुड़े मुद्दे पर पहली बार तीखी प्रतिक्रिया दी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का नकाब हटाने की घटना को लेकर उन्होंने पश्चाताप करने और विवाद समाप्त करने की सलाह दी। मायावती ने इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के बहराइच पुलिस विवाद, विधानसभा और संसद के शीतकालीन सत्र की निष्क्रियता तथा बांग्लादेश में बढ़ते भारत-विरोधी हालात पर भी सरकारों को घेरा। नीतीश को नसीहत- पश्चाताप करें, विवाद खत्म करें मायावती ने सबसे पहले बिहार के विवादित नकाब प्रकरण पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरा। उन्होंने कहा,“बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र वितरण के सार्वजनिक कार्यक्रम में एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब (चेहरे का नकाब) हटाने का मामला सुलझने के बजाय, खासकर मंत्रियों आदि की बयानबाजी के कारण लगातार तूल पकड़ता जा रहा है, जो दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।” बसपा सुप्रीमो ने कहा कि यह मामला महिला सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों में ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। बेहतर होगा कि मुख्यमंत्री इस घटना को सही परिप्रेक्ष्य में देखें, इसके लिए पश्चाताप करें और विवाद को यहीं समाप्त करने का प्रयास करें। बहराइच पुलिस ने परंपरा से किया खिलवाड़ उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक कथावाचक को पुलिस द्वारा सलामी देने के मामले पर मायावती ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा,“बहराइच में पुलिस द्वारा परंपरा से हटकर एक कथावाचक को सलामी देना अनुचित है।” उन्होंने कहा कि पुलिस परेड और सलामी की अपनी परंपरा, नियम, मर्यादा, अनुशासन और पवित्रता होती है, जिसके साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए। अच्छा है कि प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने मामले का संज्ञान लेते हुए जिला पुलिस कप्तान से जवाब तलब किया है। राज्य सरकार को भी इस प्रकरण में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। विधानसभा सत्र जनहित से दूर, केवल वाद-विवाद मायावती ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा,“19 दिसंबर से शुरू हुआ उत्तर प्रदेश विधानसभा का संक्षिप्त शीतकालीन सत्र भी पिछले सत्रों की तरह जनहित और जनकल्याण के मुद्दों से दूर नजर आया। सत्र सत्ता और विपक्ष के बीच वाद-विवाद में ही उलझा रहा।” उन्होंने कहा कि बेहतर होता यदि सरकार किसानों को खाद की समस्या समेत अन्य जनहित के मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करती और सदन के प्रति जवाबदेह बनती। संसद सत्र की निष्क्रियता पर चिंता मायावती ने संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर भी गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या पर विचार किए बिना ही समाप्त हो गया। उन्होंने कहा कि पूरे देश को उम्मीद थी कि सरकार और विपक्ष मिलकर ज्वलंत राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए, जबकि विपक्षी हंगामे के चलते अनेक मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई। बांग्लादेश पर केंद्र से सख्ती की मांग मायावती ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में बिगड़ते हालात पर केंद्र सरकार से सख्त रुख अपनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि नेपाल की तरह बांग्लादेश में भी भारत-विरोधी गतिविधियां बढ़ रही हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को दीर्घकालिक नीति के तहत इस पर गंभीरता से कदम उठाने चाहिए। बांग्लादेश में भारत-विरोधी नारों और भारतीय दूतावासों पर हमलों की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ रहा है।


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