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गोरखपुर में शीतकालीन संक्रांति का खगोलीय संयोग:10 घंटे 26 मिनट का दिन होगा, 13 घंटे 34 मिनट की रात; आज रात होगा शीत अयनांत

गोरखपुर में कल यानी रविवार को शीतकालीन संक्रांति होगी। इस दिन साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात दर्ज की जाएगी। खगोलीय स्थिति में बदलाव के कारण उत्तरी गोलार्ध में इसके बाद दिन की अवधि धीरे-धीरे बढ़ने और रातों के कम होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला तारामंडल के खगोलविद अमर पाल सिंह के अनुसार, रविवार को भारत में दिन की अवधि लगभग 10 घंटे 26 मिनट और रात की अवधि 13 घंटे 34 मिनट रहेगी। यह पूरे साल में दिन और रात के समय का सबसे बड़ा अंतर माना जाता है। खगोलीय घटना का सटीक समय वर्ष 2025 में शीतकालीन संक्रांति का खगोलीय क्षण भारतीय समयानुसार रात 8:33 बजे होगा। इसी समय सूर्य उत्तरी गोलार्ध के लिए अपने सबसे निचले स्थान पर होता है, जिससे दिन की अवधि न्यूनतम हो जाती है। क्यों बदलता है मौसम? खगोलविदों के मुताबिक मौसम और ऋतुओं का बदलाव पृथ्वी और सूर्य की दूरी से तय नहीं होता। इसकी मुख्य वजह पृथ्वी का अपने अक्ष पर करीब 23.5 डिग्री झुकाव और सूर्य के चारों ओर उसकी परिक्रमा है। जब पृथ्वी का उत्तरी हिस्सा सूर्य से सबसे अधिक दूर की ओर झुका होता है, तब उत्तरी गोलार्ध में शीतकालीन संक्रांति होती है। इस दौरान सूर्य आकाश में सामान्य दिनों की तुलना में काफी नीचे दिखाई देता है। किरणें तिरछी पड़ने से गर्मी कम मिलती है, जिससे ठंड का असर बढ़ जाता है। यही कारण है कि दिसंबर के तीसरे हफ्ते में ठंड ज्यादा महसूस होती है। दक्षिणायन का अंतिम चरण शीतकालीन संक्रांति को विंटर सोलस्टिस, दिसंबर संक्रांति या शीत अयनांत भी कहा जाता है। यह सूर्य के दक्षिणायन के अंतिम चरण और इसके बाद सूर्य की स्थिति में उत्तर दिशा की ओर खगोलीय बदलाव की शुरुआत को दर्शाती है। इसी वजह से रविवार के बाद दिन की अवधि बढ़ने लगती है। धार्मिक परंपराओं में उत्तरायण की गणना मकर संक्रांति से की जाती है।


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