मुंगेर के वर्ष 2018 के बहुचर्चित AK-47 हथियार के पार्ट्स बरामदगी मामले में शुक्रवार को एक बड़ा न्यायिक फैसला आया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय प्रवल दत्ता की अदालत ने मुफस्सिल थाना से जुड़े एक मामले में साक्ष्य के अभाव में सभी 10 आरोपितों को रिहा करने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद एक बार फिर उस समय की पुलिस जांच और अभियोजन की मजबूती पर सवाल खड़े होने लगे हैं। अदालत ने यह माना कि आरोप साबित करने के लिए प्रस्तुत साक्ष्य पर्याप्त नहीं थे। लंबी सुनवाई के बाद सभी आरोपी बरी मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक विनोद यादव तथा बचाव पक्ष की ओर से वकील विश्वजीत सिंह ने अदालत में अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने सभी आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। इस केस में मो. रिजवान पठान, मो. लुकमान, आइशा बेगम, तनवीर आलम उर्फ सोनू, मो. गुलफाम उर्फ गुलन, मो. वरिजवान उर्फ भुट्टो, मो. परवेज चांद, मो. मुस्तकीम, मो. खुर्शीद आलम और मो. इमरान आलम की पत्नी सदा रिफत को आरोपित बनाया गया था। 30 सितंबर 2018 में FIR हुआ था दर्ज इनमें से तनवीर आलम उर्फ सोनू, मो. गुलफाम उर्फ गुलन और मो. रिजवान उर्फ भुट्टो न्यायिक हिरासत में जेल में बंद थे, जबकि शेष सात आरोपित जमानत पर बाहर थे। अदालत के आदेश के बाद सभी को रिहा कर दिया गया। यह मामला 30 सितंबर 2018 को मुफस्सिल थाना में दर्ज किया गया था। तत्कालीन सर्किल इंस्पेक्टर बिंदेश्वरी यादव के लिखित बयान के आधार पर केस दर्ज हुआ था। उस समय मुफस्सिल थाना के थानाध्यक्ष मिंटू कुमार सिंह थे। आवेदन में बताया गया था कि मो. रिजवान उर्फ भुट्टो के स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर सदर प्रखंड के मिर्जापुर बरदह गांव में अजमेरी बेगम की जमीन की जेसीबी से खुदाई कराई गई थी। यह खेत मो. इमरान आलम की पत्नी अजमेरी बेगम के घर के पास स्थित था। खुदाई के दौरान जमीन में दबाकर रखे गए प्लास्टिक के बोरे से AK-47 के पार्ट-पुर्जे बरामद होने का दावा किया गया था।
https://ift.tt/DtHIQgw
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply