सोनीपत और पानीपत में 4 मासूम बच्चों को पानी में डुबोकर मारने की आरोपी पूनम को अब जेल भेज दिया गया है। सोनीपत पुलिस पूनम को मनोरोग विशेषज्ञ के पास लेकर आई थी, ताकि पता चल सके कि क्या वो सच में ही साइको (मनोरोगी) है या अपराध छिपाने के लिए जानबूझ कर नाटक कर रही है। सोनीपत के सिविल अस्पताल में बुधवार और गुरुवार को मनोरोग विशेषज्ञ ने पूनम, उसकी मां सरिता और उसके पति से अलग-अलग लंबी बातचीत व पूछताछ की। करीब 50 सवाल पूछे गए। इस दौरान पूनम ने बार-बार अपने बयान बदले। पहले दिन उसने चारों बच्चों की हत्या स्वीकार की, जबकि अगले दिन उसने सिर्फ अपने जेठ की बेटी विधि की हत्या की बात मानी। आरोपी M.A-Bed पास है। डॉक्टरों ने उससे ट्रिक के तहत बेहद आसान सवाल भी पूछे। आरोपी ने जवाब नहीं दिए। दो दिन चली जांच के बाद डॉक्टरों की राय में पूनम कोई साइको नहीं है। वो मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है और बेहद शातिर तरीके से झूठा नाटक कर रही है। पूछताछ के दौरान उसके जवाब, व्यवहार और भाव-भंगिमा ने इस बात की पुष्टि की। सिलसिलेवार ढंग पढ़िए… पूनम से क्या पूछा गया और क्या जवाब दिए डॉक्टर: क्या हाल है?
पूनम: मैं ठीक हूं। डॉक्टर: क्या नींद ठीक आती है? भूख ठीक लगती है?
पूनम: नींद कम आती है। (इस पर बीच में बरोदा थाना प्रभारी बोले कि यह तो रात भर खर्राटे मारकर सो रही थी।)
पूनम: नहीं जी, मच्छर थे इसलिए कंबल ओढ़ रखा था। पानीपत जेल में भी कम नींद आ रही थी। डॉक्टर: नदी के किनारे अगर कोई डूब रहा हो तो उसकी मदद कैसे करोगे?
पूनम: आसपास से जो भी सामान होगा, उसकी मदद से बचाऊंगी। डॉक्टर: जब तुमने चार बच्चों को मारा, उस समय तुम्हारे मन में क्या चल रहा था?
पूनम: (हाथ जोड़कर रोने लगी) भगवान ने मेरे हाथ से सिर्फ विधि का ही मर्डर करवाया। मुझे एक मौका दिलवा दीजिए, मैं सुधरना चाहती हूं। तीन बच्चों को मैंने नहीं मारा, मुझे नहीं पता किसने मारा। डॉक्टर: तुम्हारी मां कह रही है कि तुम्हें ओपरा-पराया दिखाई देता है?
पूनम: हां जी, मुझे काले रंग का साया दिखाई देता है। डॉक्टर: वह साया एक ही बार दिखाई दिया था?
पूनम: नहीं जी, बार-बार दिखाई देता है। डॉक्टर: ससुराल में घर में आग लगना, पर्दे जलना जैसी घटनाएं हुई थीं, उनके बारे में कुछ पता है?
पूनम: मुझे उनके बारे में जानकारी नहीं है। डॉक्टर: यह कहा जा रहा है कि तुम्हें सुंदर बच्चों से जलन होती थी?
पूनम: नहीं जी, मुझे नहीं पता। डॉक्टर: कभी किसी सुंदर बच्चे की पिटाई की?
पूनम: नहीं जी, मैंने किसी की पिटाई नहीं की। डॉक्टर: पढ़ाई के दौरान कोई सहेली या फ्रेंड था?
पूनम: नहीं जी, कोई नहीं था। डॉक्टर: पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान भी कोई सहेली नहीं?
पूनम: नहीं जी, बस दूर की फ्रेंड थी। याददाश्त और समझ की जांच हुई डॉक्टर: मैं तीन शब्द बोलता हूं, याद रखना- आम, सिक्का और पतंग।
पूनम: जी। डॉक्टर: मुहावरा बताओ।
पूनम: पहले याद थे, अब याद नहीं। डॉक्टर: ‘राई का पहाड़ बनाना’ का क्या अर्थ है?
पूनम: पता नहीं। थाना SHO: ‘नौ दो ग्यारह होना’ और ‘आ बैल मुझे मार’ – ये भी याद नहीं?
पूनम: नहीं जी, कुछ याद नहीं है। (रोते हुए बोली) ये पुलिस वाले मुझे पीटते हैं, मुझे मार देंगे, मुझे बचा लो जी। डॉक्टर: तूने कल यह बात क्यों नहीं बताई? (डॉक्टर ने कहा – जज के सामने बता देना।)
पूनम: बचा लो जी मुझे, एक मौका दे दो। मैं भावड़ में ही रह लूंगी। डॉक्टर: मैं जज नहीं हूं। जब बच्चों को मारा, तब नहीं सोचा कि यह अपराध है और इसकी सजा मिलेगी?
पूनम: मैं यह नहीं कहती कि अभी छुड़वा दो, बाद में छुड़ा लेना जी। डॉक्टर: वे तीन शब्द बताओ जो मैंने याद रखने के लिए बोले थे।
पूनम: आम… बाकी दो याद नहीं। आंखों में आंसू नहीं, सिर्फ नाटक
पूरी पूछताछ के दौरान पूनम करीब तीन से चार बार रोई, लेकिन एक बार भी उसकी आंखों में आंसू नहीं थे। बार-बार वह खुद को पीड़ित दिखाने की कोशिश करती रही, पुलिस पर आरोप लगाती रही और जवाब बदलती रही।मनोरोग विशेषज्ञ ने उसके व्यवहार, जवाबों और मानसिक परीक्षण के आधार पर स्पष्ट किया कि पूनम मानसिक रूप से स्वस्थ है, कोई साइको किलर नहीं, बल्कि बेहद शातिर दिमाग से झूठ और नाटक का सहारा लेकर कानून को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। लीगल एक्सपर्ट बोले- डॉक्टर की रिपोर्ट पर निर्भर करेगा
एडवोकेट संदीप शर्मा उर्फ स्वीटी का कहना है कि किसी शख्स का साइको होना, अगर कोर्ट में साबित होता है तो इस दौरान जज द्वारा उसके इलाज के लिए रिकमेंड करते हैं। उसके बाद ठीक होने के बाद सजा का प्रावधान शुरू किया जाता है। वहीं अगर साबित होता है कि आरोपी साइको नहीं है और पूरी तरह से स्वस्थ है, तो ऐसे में सामान्य केसों की तरह ही सुनवाई चलती है। सबूतों के आधार पर सजा का प्रावधान होता है। सिलसिलेवार पढ़ें…चार बच्चों की हत्या की खौफनाक कहानी
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