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सरकार बोली- एक्यूआई–फेफड़े की बीमारी में संबंध नहीं:रिसर्च में दावा- खराब हवा से फेफड़ों की क्षमता घट रही

सरकार ने कहा है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के ऊंचे स्तर और फेफड़ों की बीमारियों के बीच सीधा संबंध साबित करने वाले ठोस वैज्ञानिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, वायु प्रदूषण को श्वसन रोगों के बढ़ने का एक कारण माना गया है। यह जानकारी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में लिखित जवाब में दी। भाजपा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने सवाल किया था कि क्या दिल्ली-एनसीआर में लंबे समय तक खतरनाक AQI रहने से फेफड़ों की क्षमता कम हो रही है? वहीं, मेडिकल जर्नल ऑफ एडवांस्ड रिसर्च इंडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया कि खराब हवा के कारण फेफड़ों के काम करने की क्षमता घट रही है। उधर, वायु प्रदूषण पर चर्चा के बिना ही संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। दिल्ली में तीन साल में सांस की दिक्कत के 2 लाख से ज्यादा मरीज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 3 दिसंबर को राज्यसभा में बताया था कि 2022 से 2024 के बीच दिल्ली के छह बड़े सरकारी अस्पतालों में सांस से जुड़ी समस्याओं के 2,04,758 मामले सामने आए। इनमें से करीब 35 हजार मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। मंत्रालय के अनुसार, वायु प्रदूषण इसका प्रमुख कारण रहा। मेडिकल जर्नल के मुताबिक फेफड़े खराब हो रहे मेडिकल जर्नल ऑफ एडवांस्ड रिसर्च इंडिया में पब्लिश्ड रिसर्च के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषित हवा फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है। यह अध्ययन दिल्ली और राजस्थान के कुछ इलाकों में 15 से 29 साल के युवाओं पर किया गया। दिल्ली में 24 घंटे में 11700 चालान कटे पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि गुरुवार शाम करीब 7 बजे से शुरू हुए अभियान में 24 घंटे में 11,700 से अधिक चालान काटे गए। दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) सहित कई विभाग शहर भर में उत्सर्जन स्रोतों पर नियंत्रण के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार ने वाहन प्रवर्तन, धूल नियंत्रण, कचरा प्रबंधन और सड़क सफाई को जोड़ते हुए मल्टी लेवल रणनीति अपनाई है। उनके अनुसार, इससे पिछली सर्दियों की तुलना में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। 3 तस्वीरों में देखिए दिल्ली में प्रदूषण का हाल 12164 मीट्रिक टन कचरा हटाया गया धूल नियंत्रण के तहत नगर एजेंसियों ने 12,164 मीट्रिक टन से अधिक कचरा हटाया। 2,068 किलोमीटर सड़कों पर मैकेनिकल स्वीपिंग की गई, जबकि करीब 1,830 किलोमीटर सड़कों पर पानी का छिड़काव किया गया। मोबाइल एंटी-स्मॉग गन ने 5,500 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर किया। बयान के मुताबिक, प्रमुख निर्माण स्थलों पर लगभग 160 एंटी-स्मॉग गन तैनात की गई हैं। मंत्री ने बताया कि पिछले 24 घंटे में औसतन करीब 30,000 मीट्रिक टन पुराने कचरे का बायो-माइनिंग किया गया। नागरिक शिकायत निवारण के तहत 311 हेल्पलाइन, ग्रीन दिल्ली ऐप, समीर और सोशल मीडिया के माध्यम से मिली 57 शिकायतों का समाधान किया गया। शहर में आने से 542 ट्रकों को डायवर्ट किया मंत्री के मुताबिक शहर में एंट्री करने से 542 ट्रकों को रोका और डायवर्ट किया गया। साथ ही, शहर में 34 ट्रैफिक जाम वाले बिंदुओं को खाली कराया गया। सिरसा ने नागरिकों और संस्थानों से प्रदूषण नियंत्रण उपायों में सहयोग की अपील करते हुए कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने और हवा की गुणवत्ता में सुधार बनाए रखने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी जरूरी है। ————-


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