ढाका में गुरुवार रात अचानक हालात बिगड़ गए और कई इलाकों में हिंसा देखने को मिली है। वजह थी कट्टरपंथी संगठन इंक़िलाब मंच के नेता शरीफ़ उस्मान हादी की मौत की खबर, जो तेजी से पूरे बांग्लादेश में फैल गई है। बता दें कि हादी को 12 दिसंबर को ढाका में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी थी और इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था, जहां गुरुवार को उन्होंने दम तोड़ दिया है।
मौजूद जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने हादी के निधन की पुष्टि करते हुए ऐलान किया है कि 19 दिसंबर को देशभर के सभी धार्मिक स्थलों पर विशेष प्रार्थनाएं की जाएंगी। इसके साथ ही शनिवार को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाने और सरकारी व निजी इमारतों पर झंडा आधा झुकाने के निर्देश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि यह हमला ऐसे समय हुआ था जब देश में आम चुनाव नजदीक हैं। चुनाव आयोग ने एक दिन पहले ही घोषणा की थी कि 13वां संसदीय चुनाव 12 फरवरी 2026 को होंगे। पुलिस के मुताबिक, हादी ढाका के बिजयनगर इलाके से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव अभियान की शुरुआत कर रहे थे, तभी बाइक सवार तीन हमलावरों ने उन पर गोलियां चलाईं और फरार हो गए हैं।
पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया था कि हादी को गंभीर हालत में ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया था, जहां वह लाइफ सपोर्ट पर थे। बाद में बेहतर इलाज के लिए उन्हें सिंगापुर भेजा गया, लेकिन 32 वर्षीय हादी को बचाया नहीं जा सका है।
हादी जुलाई-अगस्त 2024 में हुए जनआंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल रहे हैं, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से विदाई की राह बनाई थी। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह झालोकाठी जिले के नालछिटी उपजिला से आते थे और भारत के मुखर आलोचक माने जाते थे। उनके संगठन इंक़िलाब मंच ने बीते एक साल में अवामी लीग को भंग करने और उसके नेताओं की गिरफ्तारी की मांग को लेकर व्यापक अभियान चलाया था।
बता दें कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने मई में अवामी लीग को भंग कर चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया था। हादी इससे पहले अवामी लीग पर जुलाई आंदोलन में शामिल छात्रों की गुप्त हत्याओं का आरोप भी लगा चुके थे और उन्हें लगातार धमकियां मिलने की बात सामने आई थी।
इस पूरे घटनाक्रम का असर भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर भी पड़ा है। 14 दिसंबर को बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत के उच्चायुक्त को तलब कर चिंता जताई थी और आशंका जाहिर की थी कि हमलावर भारत भाग सकते हैं। इसके जवाब में भारत ने भी ढाका स्थित अपने मिशन की सुरक्षा को लेकर बांग्लादेशी उच्चायुक्त को तलब किया था।
गुरुवार रात हुए प्रदर्शनों में कई जगह भारत विरोधी नारे भी लगे हैं। कुछ संगठनों ने आरोप लगाया है कि हादी के हत्यारे भारत भाग चुके हैं और भारतीय उच्चायोग को बंद करने की मांग तक रखी गई है। हालांकि प्रोफेसर यूनुस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए अफवाहों से दूर रहने को कहा है।
यूनुस ने अपने संबोधन में साफ कहा है कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने इस हमले को चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने की साजिश बताया है और कहा है कि ऐसी कोशिशें नाकाम होंगी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया आगे बढ़ती रहेगी।
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