नोएडा में एक महिला वकील को 14 घंटे पुलिस हिरासत में रखने के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। महिला वकील ने नोएडा पुलिस के खिलाफ धमकी और छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं। कहा- 3 दिसंबर को मैं ड्रेस और ID के साथ अपने मुवक्किल पर हमले की FIR कराने गई थी। लेकिन, 2 पुलिस अधिकारियों ने मुकदमा लिखने से मना कर दिया। मैंने पुलिस इमरजेंसी रिस्पोंस सर्विस पर कॉल करने की कोशिश की। पुलिस स्टेशन के CCTV बंद कर दिए गए। मेरे क्लाइंट को मारा गया। 4 दिसंबर को मुझे बिना किसी लिखित कारण के करीब 14 घंटे हिरासत में रखा गया। मेरे साथ जो कुछ हुआ, उसका सबूत मेरे सिर की चोटें हैं। हिरासत के दौरान एक पुलिस अधिकारी ने मेरा का कोट फाड़ दिया। मेरी तलाशी लेने लगा। बंदूक दिखाकर धमकाया और अश्लील बातें कहीं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा- तेरी जैसी वकीलों को हम रोज रात…। यह पूरी घटना नोएडा के सेक्टर 126 के पुलिस स्टेशन की है। महिला वकील ने सुप्रीम कोर्ट में आज, शुक्रवार को ही याचिका दाखिल की। कोर्ट ने नोएडा पुलिस से संबंधित अवधि का सीसीटीवी फुटेज सील बंद लिफाफे में तलब किया है। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार, यूपी सरकार और नोएडा पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट 7 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। अदालत ने कहा- वे अब हाथ लगाने की जुर्रत नहीं करेंगे नोएडा पुलिस को नोटिस जारी होने के बाद सीनियर वकील सिंह ने याचिकाकर्ता की सुरक्षा का मुद्दा उठाया, तो पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा- इस आदेश के पारित होने के बाद वे उन्हें हाथ लगाने की जुर्रत नहीं करेंगे। कोर्ट ने पूछा- HC क्यों नहीं गईं? फिर सुनवाई को तैयार हुआ
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच ने पहले याचिकाकर्ता वकील से पूछा- आप नोएडा में रहती हैं तो इलाहाबाद हाईकोर्ट क्यों नहीं गईं। बाद में कोर्ट मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई के लिए तैयार हो गया। सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने याचिकाकर्ता वकील की ओर से कोर्ट को बताया, पुलिस अधिकारियों ने सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए और पुलिस स्टेशन में वकील का यौन उत्पीड़न किया गया। उन्होंने अनुरोध किया है कि सीसीटीवी फुटेज को डिलीट होने से पहले ही सीज कर लिया जाए। सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी पवनी भी याचिकाकर्ता के लिए पेश हुईं और उन्होंने कहा, पुलिस अधिकारियों ने उनकी मुवक्किल का मोबाइल फोन सीज कर लिया है और सभी वीडियोज डिलीट कर दिए हैं। उन्होंने चिंता जताई है कि वकील की जान को खतरा है। कोर्ट ने नोएडा पुलिस कमिश्नर को CCTV सील करने को कहा
कोर्ट ने कहा, अगर उसने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत यह मामला सुना तो पूरी दिल्ली के मामले यहां आने शुरू हो जाएंगे। यह अनुच्छेद सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार देता है। सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने अदालत से अनुरोध किया कि इसे एक टेस्ट केस के रूप में देखा जाए। उन्होंने दलील दी कि यदि नोएडा में ऐसा हो रहा है तो पूरे देश की स्थिति की कल्पना करें। कोर्ट ने कहा- वैसे हम याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने के लिए कहते, लेकिन याचिकाकर्ता ने काफी गंभीर आरोप लगाए हैं और यह देखते हुए कि पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने और उनके ठीक से काम करने का मामला कोर्ट में लंबित है, तो हम यह मामला सुनेंगे। इसके बाद कोर्ट ने 7 जनवरी, 2026 को सुनवाई के लिए मामला लिस्ट कर दिया है। एडवोकेट विकास सिंह ने कोर्ट को यह भी बताया कि पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने और उनके सही से काम करने का मामले पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में इस मामले को टेस्ट केस की तरह लिया जा सकता है। उन्होंने कहा- यह पूरे देश के लिए एक संदेश होना चाहिए कि किसी वकील के साथ इस तरह की हरकत बिल्कुल गलत है। इस पर कोर्ट ने गौतम बुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वह देखें कि घटना के वक्त की फुटेज डिलीट न हो और उसको सील कर लें। अब थाने में क्या हुआ, ये जानिए 3 दिसंबर: थाने में मारपीट, मेडिकल रिपोर्ट में चोटें
याचिका के अनुसार यह घटना नोएडा के सेक्टर 126 के पुलिस स्टेशन की है, जहां 3 दिसंबर को महिला वकील के साथ छेड़छाड़ हुई और जबरदस्ती उनको हिरासत में रखा गया। वकील के सिर में गंभीर चोटें भी आई हैं। याचिकाकर्ता ने बताया कि वह वकील की ड्रेस और आईडी के साथ अपने मुवक्किल पर हमले की एफआईआर करवाने गई थीं। उनका आरोप है कि जिन लोगों ने मुवक्किल पर हमला किया, वे एक नेशनल न्यूज चैनल से जुड़े हैं। मुवक्किल की मेडिकल रिपोर्ट में भी सामने आया कि उन्हें काफी चोटें आई हैं। जब वकील एफआईआर करवाने पुलिस स्टेशन गईं तो दो पुलिस अधिकारियों ने शिकायत लिखने से मना कर दिया। इसके बाद वकील ने पुलिस इमरजेंसी रिस्पोंस सर्विस पर कॉल करने की कोशिश, लेकिन पुलिस स्टेशन सील कर दिया गया और उनके क्लाइंट को मारा गया। वकील ने बताया कि अगले दिन उन्हें बिना किसी लिखित कारण के अवैध हिरासत में रखा गया। याचिका के अनुसार हिरासत के दौरान एक पुलिस अधिकारी ने वकील का कोट फाड़ दिया और उनकी तलाशी लेने लगा, बंदूक दिखाकर उन्हें धमकाया और उनसे अश्लील बातें कहीं। याचिका के अनुसार, पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘तेरी जैसी वकीलों को रोज रात…’ याचिका के अनुसार वकील का फोन सीज कर लिया गया, उनके फोन से वीडियोज डिलीट कर दी गईं और पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी कैमरों को बंद कर दिया गया या हटा दिया गया। याचिकाकर्ता वकील का कहना है कि उनके मुवक्किल पर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया। उन्होंने कहा कि भले ही वकील को थोड़ी देर बाद ही छोड़ दिया गया था, लेकिन उन्हें अभी भी धमकियां मिल रही हैं। ………………… ये भी पढ़ें – वाराणसी कोर्ट में अमिताभ ठाकुर से जज बोले-कुर्सी पर बैठिए:बाहर निकलते समय 200 पुलिसवालों ने सीटी बजाई, पूर्व IG की पुलिस से हुई बहस पूर्व आईपीएस और आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर को भारी सुरक्षा के बीच वाराणसी कोर्ट में पेश किया गया। बॉडी प्रोटेक्टर और बुलेटप्रूफ जैकेट में पुलिसकर्मी अमिताभ ठाकुर को कोर्ट के अंदर ले जाया गया। पढ़िए पूरी खबर…
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