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चारबाग पर खुले में रात गुजार रहे यात्री, VIDEO:कोहरे की वजह से 4-5 घंटे डिले चल रही हैं ट्रेनें, यात्री बोले- न रैन बसेरा, न अलाव

लखनऊ में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। घना कोहरा होने के चलते ट्रेन घंटों लेट चल रही हैं। इससे रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। सबसे खराब हालत यूपी के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन चारबाग का है। हाड़ कंपा देने वाली इस भीषण ठंड में यात्रियों का कोई सुध लेने वाला नहीं है। रेलवे स्टेशन परिसर में ना तो यात्रियों के लिए अलाव की व्यवस्था की गई है ना ही रैन बसेरा बनाया गया है। कड़ाके की ठंड में देर रात यात्रा करने वाले यात्री खुले में रहने को मजबूर हैं। यही नहीं रात के समय में सुरक्षा-व्यवस्था में भी लापरवाही देखने को मिली। स्टेशन परिसर में कहीं भी कोई चेकिंग होते नहीं दिखी। पुलिसकर्मी जहां अपनी ड्यूटी वाली जगह पर बर्फ की तरह जमे दिखे। वहीं, लोग ठंड से बचाव के लिए इधर से उधर भटकते दिखे। दैनिक भास्कर ने देर रात चारबाग रेलवे स्टेशन पर 4 घंटे बिताए। इसमें रेलवे प्रशासन की लापरवाही हर ओर नजर आई- पहले तस्वीरों में देखिए रेलवे स्टेशन का हाल… स्टेशन पर इंतजार, बाहर गुजारनी पड़ी रात विजिबिलिटी कम होने से रेल संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ। चारबाग स्टेशन से गुजरने वाली लगभग सभी प्रमुख ट्रेनें 4 से 5 घंटे की देरी से चलीं। सूचना तंत्र कमजोर होने के कारण यात्रियों को सही समय की जानकारी तक नहीं मिल सकी। ट्रेन लेट होने की वजह से यात्रियों को लंबे समय तक स्टेशन पर इंतजार करना पड़ा। प्लेटफॉर्म पर जगह न मिलने और ठंड से बचाव के इंतजाम न होने के कारण कई यात्री स्टेशन के बाहर ही जमीन पर सोते नजर आए। ठिठुरती ठंड में महिलाएं, बुजुर्ग और छात्र सबसे ज्यादा परेशान दिखे। ट्रेनों की स्थिति जानिए… ये ट्रेनें स्टेशन पर लेट पहुंचीं अब रेल यात्रियों की बात पढ़िए… रैन बसेरा-अलाव नहीं, प्रशासन की मदद नदारद ठंड के मौसम में यात्रियों के लिए अस्थायी रैन बसेरे, अलाव और गर्म पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना प्रशासन की जिम्मेदारी होती है, लेकिन चारबाग स्टेशन के आसपास ऐसी कोई व्यवस्था नजर नहीं आई। न नगर निगम के अलाव दिखे और न ही जिला प्रशासन की ओर से कोई वैकल्पिक इंतजाम किया गया था। हमारे पास कोई विकल्प नहीं बलिया से आए यात्री पंकज कुमार गुप्ता ने बताया- वे ग्रुप डी की परीक्षा देने लखनऊ आए हैं। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। न रैन बसेरा है और न ही अलाव। मजबूरी में स्टेशन के बाहर ही रात गुजारनी पड़ रही है। सुबह परीक्षा देनी है, फिर घर लौटेंगे। यात्रियों की सुध लेने वाला कोई नहीं भोपाल के मोहम्मद नसीम ने बताया- उनकी ट्रेन साढ़े चार घंटे लेट है। ट्रेन पकड़ने आए हैं, लेकिन इतनी ठंड में बाहर बैठकर रात काटनी पड़ रही है। सरकार की तरफ से न रैन बसेरे की व्यवस्था है और न ही अलाव का इंतजाम। ऐसे में यात्रियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। सीनियर डीसीएम बोले- 500 यात्रियों को ठहराने की व्यवस्था सीनियर डीसीएम कुलदीप तिवारी ने बताया-चारबाग स्टेशन पर आने वाला यात्रियों के लिए हमारे पास हाल है, जहां पर लगभग 500 लोगों के ठहरने की क्षमता है। इसके अलावा वेटिंग एरिया भी है। लोग वहां पर आराम से रुक सकते हैं। ———————— ये खबर भी पढ़िए… पापा ने कहा- ड्रॉइंग छोड़ या घर:थप्पड़ पड़े, दरवाजा बंद हुआ… खाली जेब चला था, अब हर महीने 80 हजार कमाता हूं जिंदगी जितनी आसान दिखती है, उतनी है नहीं। वो अपने साथ बहुत से उतार-चढ़ाव लेकर चलती है। इस सफर में कुछ लोग हार जाते हैं, कुछ अपना रास्ता बना लेते हैं। ऐसी ही कहानी मेरी भी है। नमस्कार, मैं सूरज सिंह… बनारस के घाटों का एक स्केच आर्टिस्ट। मेरी जिंदगी कैनवास पर उतरने वाले इंद्रधनुषी रंगों जैसी नहीं थी। ये उदास ब्लैक एंड वाइट सिनेमा जैसी थी। लेकिन, न तो मैंने अपने हुनर का दामन छोड़ा और न ही हुनर ने मुझे। (पूरी खबर पढ़िए)


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