बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह ने देश की मौजूदा केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि वर्तमान हुकूमत को हर उस विचार और हर उस व्यवस्था से असहजता है, जिसका संबंध महात्मा गांधी के नाम और उनके दर्शन से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि इसी मानसिकता के तहत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, यानी मनरेगा, को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यह वही ऐतिहासिक कानून है, जिसे राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और देश के अभूतपूर्व ग्रामीण विकास मंत्री रहे दिवंगत रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने अथक प्रयासों से साकार रूप दिया था। सांसद सुधाकर सिंह ने कहा कि आज केंद्र सरकार नए कानूनों और प्रशासनिक बदलावों के जरिए न केवल मनरेगा का नाम बदलने की दिशा में आगे बढ़ रही है, बल्कि उसकी मूल आत्मा गरीबों को सम्मानजनक रोजगार देने की संवैधानिक गारंटी को भी कमजोर करने का कुत्सित प्रयास कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिनके पास गरीबों के कल्याण के लिए कोई मौलिक सोच या ठोस योजना नहीं है, वे पूर्व से चली आ रही जनहितकारी योजनाओं को भी अपने पूंजीपति मित्रों के इशारे पर खत्म करने पर आमादा हैं। ‘मनरेगा केवल एक योजना नहीं’ उन्होंने कहा कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के करोड़ों गरीबों के लिए सम्मान, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का माध्यम है। इस कानून ने गांवों में पलायन को रोकने, मजदूरों को अधिकार देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई है। ऐसे में इसके अस्तित्व और प्रभाव को कमजोर करना सीधे तौर पर गरीबों के हितों पर हमला है। मौजूदा सरकार गरीब-विरोधी सोच से प्रेरित – सांसद सुधाकर सिंह सांसद ने आगे कहा कि सच्चाई यह है कि मौजूदा सरकार गरीब-विरोधी सोच से प्रेरित है और उससे भी आगे बढ़कर उसे महात्मा गांधी के विचारों से गहरी असहजता है। लेकिन यह भ्रम पाल लेना कि गांधी को योजनाओं, नामों या कानूनों से हटाकर मिटाया जा सकता है, इतिहास और समाज दोनों की समझ का घोर अभाव है। महात्मा गांधी किसी एक योजना या कानून का नाम नहीं हैं, बल्कि वे इस देश की सभ्यता, संस्कृति और नैतिक चेतना के प्रतीक हैं। ‘गांधी को खत्म करने की कोशिश करने वाले..’ सुधाकर सिंह ने कहा कि गांधी को खत्म करने की कोशिश करने वाले यह भूल जाते हैं कि वे भारतवासियों के दिलों में बसते हैं और वहां से उन्हें कोई सत्ता नहीं निकाल सकती। गांधी के विचार—समानता, न्याय, सत्य और अहिंसा आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने स्वतंत्रता आंदोलन के समय थे। उन्होंने लोकसभा के पटल पर समाजवाद के पुरोधा और युवा तुर्क आदरणीय चंद्रशेखर द्वारा महात्मा गांधी के संदर्भ में व्यक्त किए गए विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे आज भी देश के लिए मार्गदर्शक हैं। सांसद ने कहा कि उन विचारों को देश की जनता को अवश्य सुनना और समझना चाहिए, क्योंकि महात्मा गांधी को समझे बिना भारत को समझना संभव नहीं है।
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