मिर्जापुर के हलिया थाना क्षेत्र स्थित ड्रमंडगंज-देवहट तिराहे पर निराश्रित गोवंश खुले आसमान के नीचे कड़ाके की ठंड में रात गुजारने को मजबूर हैं। मुख्य सड़क पर गोवंशों के जमावड़े से उनके जीवन पर संकट बना हुआ है और सड़क दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ गई है। यह स्थिति तब है जब ड्रमंडगंज-देवहट तिराहे से कुछ ही दूरी पर महोगढ़ी गांव में एक सरकारी गोवंश आश्रय स्थल मौजूद है। इस आश्रय स्थल पर गोवंश के भरण-पोषण और रखरखाव पर हर महीने लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद गोवंश सड़कों पर भटकने और ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वे गोवंश को आश्रय स्थल तक पहुंचाने की जहमत नहीं उठाते। लोगों का कहना है कि शायद उन्हें गोवंश की सेवा में कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं दिखता। ग्रामीणों के मुताबिक, ब्लॉक, तहसील और जिला प्रशासन को भी इस स्थिति की जानकारी होने की संभावना है। हालांकि, जब तक कोई लिखित शिकायत नहीं मिलती, अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते। इसका परिणाम यह है कि गोवंश की दुर्दशा लगातार बढ़ती जा रही है। वास्तविकता यह है कि सरकारी कागजों में गोवंश के लिए सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त दिखाई जाती हैं। फाइलों में गोवंश सुरक्षित और स्वस्थ दर्शाए जाते हैं, जिससे संबंधित अधिकारियों पर कोई आंच नहीं आती। हालांकि, जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि सड़कों पर घूम रहे गोवंशों को तत्काल आश्रय स्थलों में पहुंचाया जाए। उन्होंने ठंड से बचाव के लिए समुचित इंतजाम करने और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी अपील की है, ताकि गोवंश को केवल कागजों में नहीं, बल्कि वास्तव में संरक्षण मिल सके।
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