मिर्जापुर में आमघाट नदी पर निर्माणाधीन रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) का कार्य अधूरा पड़ा है। 62.45 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह पुल चालू न होने से स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने 15 दिसंबर तक कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद निर्माण कार्य अधूरा है, जो धीमी गति और विभागीय उदासीनता को दर्शाता है। आरओबी के अधूरे होने के कारण स्थानीय निवासियों को लगभग पांच किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाकर मुंहकुँचवा मार्ग से चुनार, वाराणसी, चंदौली और बिहार की ओर आवागमन करना पड़ रहा है। इस वजह से समय की बर्बादी हो रही है और ईंधन का खर्च भी बढ़ गया है। स्कूली छात्र, कर्मचारी, व्यापारी और मरीज जैसे दैनिक यात्री इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं। व्यापारियों का कहना है कि लंबा रास्ता तय करने से माल ढुलाई महंगी हो गई है, जिसका सीधा असर उनके कारोबार पर पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त, आपातकालीन स्थितियों में एंबुलेंस और अन्य आवश्यक सेवाओं को भी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे कभी-कभी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
पुल के पूर्वी छोर पर अभी भी मिट्टी डालने का काम चल रहा है। निर्माण स्थल के आसपास सामग्री बिखरी पड़ी है, और पुल के अंतिम चरण का कार्य कई महीनों से लंबित है। स्थानीय नागरिक आकाश सिंह ने निर्माण कार्य में तेजी लाने की मांग की है।
उन्होंने सुझाव दिया है कि ठंड के मौसम में लोगों को राहत देने के लिए साइकिल और मोटरसाइकिल जैसे छोटे वाहनों के आवागमन की अनुमति दी जानी चाहिए। आमघाट आरओबी के शीघ्र चालू होने से न केवल मिर्जापुर शहर बल्कि आसपास के जिलों को भी सीधा लाभ मिलेगा और यातायात सुगम हो सकेगा।
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