इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा पाये और जमानत मिलने पर गायब हुए मौलाना खुर्शीद जमाल कादरी की तलाश के लिए केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि कौन सी एजेंसी लगाई जाए जो कादरी को अदालत में पेश कर सके। गुरुवार को सुनवाई के बाद अब शुक्रवार 19 दिसंबर को प्रकरण में फिर सुनवाई होगी। राज्य की पुलिस की विफलता के बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार का रूख किया है और डिप्टी सालिसिटर जनरल एस के पाल से 24घंटे में जानकारी मांगी है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर तथा न्यायमूर्ति संजय कुमार खंडपीठ ने यह निर्देश दिया। कहा है कि राज्य पुलिस कादरी की तलाश में असफल रही है इसलिए केंद्रीय एजेंसियों को इस कार्य में शामिल जा सकता है। भारत सरकार के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एसके पाल से कोर्ट ने कहा कि वह सचिव गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त कर बतायें किस एजेंसी को कादरी को अदालत में पेश करने की जिम्मेदारी सौंपी जाए। शुक्रवार 19 दिसंबर को प्रकरण में फिर सुनवाई होगी।
खंडपीठ ने पूर्व में पुलिस को आदेश दिया था कि हर संभव प्रयास कर उसे हर हाल में अदालत में पेश किया जाए। कोर्ट ने कहा था अभियुक्त की मृत्यु होने अथवा देश छोड़कर भाग जाने के अलावा हर हाल में आदेश का पालन होना चाहिए। मौलाना खुर्शीद जमाल कादरी ही याची है। यह याचिका 1984 में दायर की गई थी। धूमनगंज थाने में दर्ज हत्या व डकैती के मुकदमे में ट्रायल कोर्ट ने उसे इसी साल आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मौलाना ने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की और जमानत के बाद से लापता हो गया।
हाई कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार याची प्रयागराज छोड़कर जा चुका है तथा दोनों जमानतदारों की भी मृत्यु हो चुकी है। मौलाना का स्थायी पता मुजफ्फरपुर बिहार का है। हंडिया में जहां वह मुस्लिम बच्चों को अरबी पढ़ाता था, वहां उसका कोई स्थायी पता नहीं था।
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