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भवन निर्माण डायरेक्टर ने कैसे खड़ा किया करोड़ों का साम्राज्य:इंस्टॉलमेंट में लेते थे रिश्वत, हर काम का रेट तय था- 4 करोड़ की संपत्ति बनाई

बिहार में भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े गए भवन निर्माण के डायरेक्टर गजाधर मंडल ने रिश्वत का अपना ही मॉडल बना रखा था। एसयूवी की जांच में पता चला है कि अफसर ने हर काम के रेट तय कर रखे थे। इंस्टॉलमेंट में रिश्वत ली जाती थी, जिससे एक साथ रकम पकड़ी न जाए। अब तक की जांच में लगभग ₹2.82 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के सबूत सामने आए हैं। ये संपत्ति इससे ज्यादा भी हो सकती है। पुलिस ने अब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। मेडिकल ग्राउंड पर उन्हें घर जाने की छूट तो दे दी गई है, लेकिन उन्हें हर दिन एसयूवी दफ्तर पूछताछ के लिए आना पड़ेगा। गजाधर मंडल ने नौकरी कब जॉइन की, भ्रष्टाचार का तंत्र कैसे आगे बढ़ाया, जांच एजेंसी को अब तक क्या-क्या मिला है…पढ़िए इस रिपोर्ट में सबसे पहले जानिए..14 घंटे की छापेमारी में क्या-क्या मिला 1996 में नौकरी ज्वाइन करने वाले गजाधर मंडल के पटना-भागलपुर सहित चार ठिकानों पर करीब 14 घंटे तक छापेमारी की गई। सुबह से देर रात तक चली छापेमारी में SVU की टीम ने अलमारियों के दस्तावेज, बैंक-फाइलें, बीमा पॉलिसियां, रजिस्ट्री कॉपियां-हर कागज की सीक्वेंस-वाइज जांच की। टीम ने डिजिटल फुटप्रिंट मोबाइल/लैपटॉप का डाटा भी खंगाला है। अब तक जांच में सामने आया है कि गजाधर ने 4 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति बनाई है। इसमें बड़ी संख्या में संपत्ति शामिल है। जांच एजेंसियां अब कमाई के नेटवर्क, परिवार और करीबियों के नाम संपत्तियों की पड़ताल कर रही हैं। पूछताछ के दौरान गजाधर ने जांच एजेंसियों का सहयोग नहीं किया। मेडिकल ग्राउंड का हवाला देकर सवालों से बचते नजर आए। जांच अधिकारी बताते हैं कि जवाबों में टालमटोल/विरोधाभास दिखाई दिया, जिससे कस्टोडियल क्वेश्चनिंग का विकल्प भी खुला रखा गया। बहुत जल्द हिरासत में लेकर पूछताछ की जाएगी। रेड के दौरान की तस्वीरें… SVU का कैसे कसा शिकंजा, कमाई से ज्यादा संपत्ति बनाई SVU के अनुसार, गजाधर मंडल बिहार इंजीनियरिंग सेवा में सीधे अधिकारी भर्ती हुए थे। 1996 से अब तक कई जिलों में सेवाएं दे चुके हैं। पिछले लंबे समय से गजाधर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति बनाने की शिकायतें आ रही थीं। उन्हीं शिकायतों के आधार पर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया गया। इसमें रिश्वत लेने, परिवार के अन्य लोगों के नाम बेनामी संपत्ति बनाने का आरोप लगाया गया था। न्यायालय से सर्च वारंट लेकर 16 दिसंबर को पटना और भागलपुर में घर,ऑफिस पर एक साथ छापेमारी हुई। SVU का दावा है कि प्रारंभिक जांच में जो संपत्तियां सामने आईं हैं, वे FIR में उल्लिखित आरोपों से कई गुना अधिक हैं। ये संपत्ति गलत तरीके से पैसे लेकर किए गए कार्यों से बनाई गई है। सभी प्रॉपर्टी की जांच की जा रही है। इन्हें अटैच किया जाएगा कमाई का नेटवर्क: कैसे बना ‘सिस्टम’ और कैसे घूमता रहा पैसा जांच एजेंसियों का मानना है कि गजाधर मंडल ने अपनी सर्विस के दौरान अलग-अलग चरणों में ठेकेदारी-इकोसिस्टम, क्वालिटी मॉनिटरिंग और फील्ड-डिसीजन से जुड़े प्रभाव का लाभ उठाया। आरोप है कि अवैध संपत्ति बनाने के लिए इंस्टॉलमेंट में रिश्वत ली जाती थी। ये पैसा अलग-अलग सोर्स से जुटाया गया ताकि एकमुश्त रकम ट्रैक न हो सके। कई अलग-अलग खातों में पैसा मंगाया जाता था। इस पैसे से जमीन खरीदी गई, एफडी कराई गई। परिवार के नाम कई जमीनों का रजिस्ट्रेशन कराया गया है। SVU अब कैश-फ्लो, बैंक ट्रांजैक्शन, रजिस्ट्री वैल्यू बाजार के अनुसार वैल्यू कर रही है। जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ बिचौलियों ने जमीन दिलवाई है। उनके माध्यम से ही रिश्वत के पैसे को प्रॉपर्टी में बदला गया है। अब एसयूवी ये डेटा निकाल रही है कि किस वर्ष कहां तैनाती रही और कहां-कहां प्रॉपर्टी खरीदी गई। ​​​दस्तावेजों के अनुसार, कुल 16 जमीन की रजिस्टर जांच में मिली है। इसकी फिलहाल अनुमानित कीमत 3.41 करोड़ रुपए है। हालांकि बाजार मूल्य इससे काफी ज्यादा हो सकता है। इनमें कॉमर्शियल बिल्डिंग, घर, दुकानें, फ्लैट शामिल हैं। सभी की लोकेशन मुख्यतः भागलपुर (जगदीशपुर, सबौर, गोराडीह) में दर्ज हैं। कई रजिस्ट्रियां परिवार और अन्य लोगों के नाम हैं, जिससे बेनामी संपत्ति स्पष्ट हो रही है। जांच में 30.8 लाख की एफडी, LIC/हेल्थ इंश्योरेंस निवेश, 1.88 लाख कैश और आठ लाख का सोना-चांदी भी मिला है। सैलरी से कई गुना ज्यादा कमाई दस्तावेजों के अनुसार मंडल की कुल कमाई 1.86 करोड़ होनी चाहिए थी। सभी खर्च निकालकर अधिकतम बचत 90 लाख तक हो सकती थी। लेकिन इससे इतर उनकी कमाई 3.72 करोड़ के आसपास दस्तावेजों में मिल रही है। जबकि मार्केट वैल्यू में ये काफी ज्यादा होगी। आय से अधिक 2.82 करोड़ का सीधा अंतर सामने आ रहा है। यही अंतर जांच का सबसे बड़ा विषय है।


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