‘नुसरत पढ़ने में काफी होशियार है और रेगुलर कॉलेज आ रही थी। आज तक कॉलेज में किसी ने उसका चेहरा नहीं देखा। पिछले करीब सात साल से वह हिजाब में ही कॉलेज आ रही है। उसने यहीं से यूजी किया और अब पीजी कर रही है। अभी उसका एक साल बाकी है। जब उसे ज्वॉइनिंग से जुड़ा मैसेज मिला, तो वो बेहद खुश थी। अपने भविष्य को लेकर उसके कई सपने थे, लेकिन इस घटना के बाद से वह थोड़ा आहत है। 4 दिन से कॉलेज नहीं आई है। वहां जो कुछ हुआ वह इंटेशनली नहीं लगता है, लेकिन जो हुआ वह भी सही नहीं है।’ यह बातें नुसरत परवीन को कॉलेज में पढ़ाने वाले उसके एक टीचर ने कही। दरअसल, 15 दिसंबर को ज्वॉइनिंग लेटर वितरण कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नुसरत का हिजाब हल्का सरका दिया था। तब से ये मामला तूल पकड़ रहा है, कुछ लोग नाराजगी भी जता रहे हैं। इस विवाद के बीच दैनिक भास्कर ने ये जानने की कोशिश की कि नुसरत डॉक्टरी की पढ़ाई कहां कर रही है…? इस पूरे विवाद पर उसके टीचर क्या कहते हैं..? साथ पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं…पढ़िए रिपोर्ट सबसे पहले जानिए नुसरत कहां से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही पटना के कदमकुआं इलाके में ‘राजकीय तिब्बी कॉलेज एवं अस्पताल’ यूनानी चिकित्सा शिक्षा और इलाज का एक प्रमुख सेंटर है। यहां वर्षों से छात्रों को यूनानी पद्धति से पढ़ाई करवाई जा रही है। यहां (BUMS) बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी की पढ़ाई होती है। कॉलेज से जुड़े अस्पताल में आम लोगों का इलाज होता है, जहां रोजाना बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं। यहीं नुसरत अपना पीजी कंपलीट कर रही है। उसका अभी एक साल बाकी है। अस्पताल में ओपीडी और भर्ती की सुविधा भी उपलब्ध है। यहां सस्ते रेट पर इलाज किया जाता है, नुसरत अपनी पढ़ाई के साथ यहीं प्रैक्टिस भी कर रही है। अब आपको कॉलेज ले चलते हैं… दैनिक भास्कर की टीम जब यूनानी कॉलेज पहुंची तो वहां कोई बात करने को तैयार नहीं हुए। स्टाफ और अन्य लोगों ने साफ कहा कि जब प्रिंसिपल आएंगे तो ही बात हो पाएगी। हमने कहा कि हमें सिर्फ नुसरत के बारे में जानना है कि वह पढ़ने-लिखने में कैसी थी। क्या वो कॉलेज आ रही है। काफी प्रयास के बाद प्रिंसिपल बातचीत के लिए राजी हुए। प्रिंसिपल ने कहा- सीएम नीतीश ने यह गलत सेंस से नहीं किया राजकीय तिब्बी कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो.(डॉ.) मोहम्मद महफजुर रहमान ने कहा कि, नुसरत परवीन पढ़ाई में बेहद अच्छी छात्रा है। ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम क्वालीफाई कर उसने यहां दाखिला लिया था। कॉलेज में उसका एकेडमिक परफॉर्मेंस और बिहेवियर हमेशा सराहनीय रहा है। इस घटना को गलत सेंस में लिया गया है। मुख्यमंत्री जी की मंशा गलत नहीं थी, यह प्यार और सम्मान का भाव था, लेकिन मीडिया ने इसे दूसरे तरीके से पेश किया। प्रिंसिपल ने आगे कहा कि, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर शिक्षा और रोजगार में आगे बढ़ाया गया है। हम मुख्यमंत्री जी में किसी तरह की कमी नहीं देखते, लेकिन कुछ लोगों ने इस मामले को गलत दिशा में मोड़ दिया है। डिपार्टमेंट के प्रोफेसर बोले- अनुशासित और शालीन व्यवहार की थी नुसरत परवीन जिस डिपार्टमेंट में पढ़ती थी, वहां के एक शिक्षक ने बताया, ‘वह होनहार लड़की है। वह पीजी फर्स्ट ईयर की छात्रा है। उसने ग्रेजुएशन भी इसी कॉलेज से किया है। वो नियमित रूप से कॉलेज आती थी। उसका व्यवहार हमेशा अनुशासित और शालीन रहा। पिछले करीब सात साल में वो कभी बिना हिजाब के कॉलेज नहीं आई। हम लोगों ने कभी उसका चेहरा नहीं देखा। यहां कई छात्राएं हिजाब में आती हैं। इसलिए कभी कुछ अलग जैसा नहीं लगा। अभी उसका एक साल बाकी है, वो इसी अस्पताल में पढ़ाई के साथ प्रैक्टिस भी करती है।’ कॉलेज का छात्र बोला- सीएम को माफी मांगनी चाहिए प्रिंसिपल और टीचर से बात करने के बाद हम कॉलेज के बाहर कुछ छात्रों से मिले, ज्यादातर ने बिना कैमरे पर आए और इस मामले में नाराजगी जताई। इस दौरान हमारी बातचीत कॉलेज में पढ़ने वाले जूनियर छात्र डॉक्टर ईशर अहमद से हुई। अहमद ने कहा , ‘मैं एक डॉक्टर हूं और मानता हूं कि किसी भी महिला की इज्जत सबसे ऊपर होती है। हिजाब उसका निजी फैसला है। उसमें दखल देना गलत है। मुख्यमंत्री हों या आम आदमी, ऐसी चीजें किसी भी हाल में सही नहीं है’। ‘मुख्यमंत्री ने जो किया, वह किसी भी महिला के साथ नहीं किया जाना चाहिए। हर व्यक्ति की अपनी इज्जत होती है, जिसे वह अपने तरीके से संभालकर और कवर करके रखता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए’। ‘सरकार हमेशा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है और बेटियों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि उन्हें आगे बढ़ाया जा सके। यह वही नीतीश कुमार हैं, जिन्होंने बिहार की महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया, लेकिन यह भी वही नीतीश कुमार हैं, जिन्होंने नियुक्ति पत्र वितरण के दौरान इस तरह की हरकत कर दी।’ अहमद ने आगे कहा, ‘भारत में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है। अगर किसी महिला के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है, तो यह बेहद शर्मनाक है। पूरे समाज के लिए सोचने का विषय है।’ अब जानिए आखिर पूरा मामला क्या है दरअसल, सोमवार (15 दिसंबर) को CM नीतीश कुमार आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने एक महिला डॉक्टर नुसरत को पहले तो नियुक्ति पत्र दे दिया। इसके बाद उसे देखने लगे। महिला भी मुख्यमंत्री को देखकर मुस्कुराई। CM ने हिजाब की ओर इशारा करते हुए पूछा कि ये क्या है जी। महिला ने जवाब दिया, हिजाब है सर। CM ने कहा कि हटाइए इसे। इसके बाद मुख्यमंत्री ने खुद अपने हाथ से महिला का हिजाब हटा दिया। इस दौरान डिप्टी CM सम्राट चौधरी नीतीश कुमार को रोकने के प्रयास में उनकी आस्तीन खींचते हुए नजर आए। हिजाब हटाने से महिला थोड़ी देर के लिए असहज हो गई। आसपास मौजूद लोग हंसने लगे। कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने महिला को नियुक्ति पत्र फिर थमाया और जाने का इशारा किया। महिला फिर वहां से चली गई। देखें वो तस्वीरें जिसके बाद हलचल मची… तीन राज्यों में CM नीतीश के खिलाफ शिकायत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बेंगलुरु, लखनऊ, झारखंड की राजधानी रांची में शिकायत दर्ज कराई गई है। रांची के इटकी थाने में सामाजिक कार्यकर्ता मो. मुर्तजा आलम ने लिखित आवेदन देकर मामले की जांच और कार्रवाई की मांग की है। शिकायत में कहा गया है कि यह मामला अब निजी नहीं रहा, बल्कि सार्वजनिक बहस का विषय बन चुका है। धार्मिक पोशाक के साथ सार्वजनिक मंच पर किया गया ऐसा व्यवहार आपत्तिजनक है। इससे महिला की गरिमा को ठेस पहुंची है। वहीं, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग थाने में समाजवादी पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता और मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा ने भी मुख्यमंत्री नीतीश के खिलाफ तहरीर दी है। उन्होंने इस मामले में यूपी सरकार के मंत्री संजय निषाद को भी कटघरे में खड़ा किया है। सुमैया राणा का कहना है कि सार्वजनिक मंच पर किसी महिला का हिजाब खींचना बेहद शर्मनाक कृत्य है और इससे मुख्यमंत्री की सोच उजागर होती है। वहीं, संजय निषाद के बयान को लेकर भी उन्होंने आपत्ति जताई और उसे असंवेदनशील बताया।
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