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4 बच्चों को डूबोकर मारने वाली पूनम साइको नहीं:मनोरोग जांच में फेल हुआ नाटक; पानीपत-सोनीपत में हत्याओं के बाद की अलग-अलग एक्टिंग

हरियाणा के सोनीपत और पानीपत में चार मासूम बच्चों की डुबोकर हत्या आरोपी गांव भावड़ की बहू पूनम का सच सबके सामने उजागर हुआ है। वह साइको नहीं बल्कि शातिर है। पुलिस, कोर्ट और डॉक्टरों के सामने खुद को कभी रोती हुई मां, कभी बीमार महिला और कभी पछतावे से भरी आरोपी दिखाने वाली पूनम किसी मानसिक बीमारी की शिकार नहीं है। वह मानसिक रूप से बिल्कुल स्वस्थ है। वह बेहद शातिर और चालाक निकली। पानीपत पुलिस की गिरफ्त से लेकर सोनीपत कोर्ट और मनोरोग विशेषज्ञ की जांच तक, पूनम हर मंच पर अलग एक्टिंग करती रही। बयान बदलना, सवालों से बचना, सहानुभूति बटोरने के लिए रोना और फिर अपनी ही बातों से मुकर जाना। यही उसकी रणनीति रही। मनोरोग विशेषज्ञ की रिपोर्ट ने अब साफ कर दिया है कि यह बीमारी नहीं, बल्कि सोची-समझी चाल थी। इसका खुलासा होने के बाद अब पुलिस की जांच का फोकस उसके मानसिक हालात पर नहीं, बल्कि उसके इरादों और अपराध की पूरी साजिश पर टिक गया है। गिरफ्तारी के बाद शुरू हुआ ड्रामा
पानीपत पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद पूनम को प्रोटेक्शन वारंट पर सोनीपत लाया गया। कोर्ट में पेशी के दौरान उसने जज के सामने रो-रोकर खुद को असहाय दिखाने की कोशिश की। यहां तक कि उसने अपना केस खुद लड़ने की अनुमति भी मांगी। उस दिन उसने चारों बच्चों की हत्या स्वीकार कर ली थी, जिससे मामला पूरी तरह पलटता नजर आया। पहले कबूलनामा, फिर पलटी कहानी
सोनीपत में प्रोटेक्शन वारंट पर पूछताछ के पहले दिन पूनम ने चार बच्चों की हत्या स्वीकार की, लेकिन जैसे ही वह मनोरोग विशेषज्ञ के सामने पहुंची, उसका रुख बदल गया। कहा कि उसने केवल जेठ की बेटी विधि की हत्या की है। बाकी तीन बच्चों की मौत कैसे हुई, इसकी जानकारी उसे नहीं है। यही विरोधाभास उसकी शातिराना की पहली बड़ी निशानी बना। यहां जानिए मनोरोग विशेषज्ञ ने कैसे पकड़ा पूनम का झूठ…. इलाज का इतिहास, बीमारी का कोई सबूत नहीं
पति नवीन ने बताया कि बेटे की मौत के बाद पूनम को जींद और चंडीगढ़ में न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाया गया था। कई महीनों तक इलाज चला, लेकिन किसी डॉक्टर ने मानसिक बीमारी की पुष्टि नहीं की। यह तथ्य मौजूदा रिपोर्ट को और मजबूत करता है। मां सुनीता ने बताया कि पूनम बचपन से ही गुमसुम स्वभाव की थी। वह स्कूल की बातें घर में साझा नहीं करती थी, लेकिन उसका व्यवहार सामान्य बच्चों जैसा ही था। न हिंसा, न असामान्यता के कोई संकेत। पति नवीन के अनुसार, शादी के बाद पूनम छोटी-छोटी बातों पर सास-ससुर से झगड़ा कर मायके चली जाती थी। कई बार एक-दो महीने वहीं रहती थी। उसकी कोई सहेली नहीं थी और फोन पर भी वह ज्यादातर अपनी मां से ही बात करती थी। डॉक्टर की रिपोर्ट ने खोली परतें
मनोरोग विशेषज्ञ की अंतिम रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि पूनम को किसी भी प्रकार का मनोरोग नहीं है। वह पूरी तरह मानसिक रूप से स्वस्थ है और जानबूझकर बीमारी का नाटक कर रही थी। चार मासूम बच्चों की हत्या के इस सनसनीखेज मामले में अब यह साफ हो चुका है कि पूनम कोई साइको नहीं, बल्कि बेहद शातिर और चालाक आरोपी है। डॉक्टर के मुताबिक, बयान बदलना, भावनात्मक नाटक करना और सहानुभूति बटोरने की कोशिश—यह सब उसकी रणनीति का हिस्सा रहा। अब जांच का फोकस उसके मानसिक हालात पर नहीं, बल्कि उसके इरादों और अपराध की पूरी साजिश पर टिक गया है। सिलसिलेवार पढ़ें…चार बच्चों की हत्या की खौफनाक कहानी —————————– ये खबर भी पढ़ें… साइको किलर की कहानी पति की जुबानी:शादी के बाद 3 साल तक ठीक रही, बेटे के जन्म के बाद बदले हाव-भाव; सुंदर बच्चों से चिढ़ने लगी दो साल में 4 बच्चों को पानी में डुबोकर मारने वाली 32 साल की पूनम के साइको किलर बनने की कहानी काफी अजीब है। पानीपत के सिवाह गांव की पूनम की साल 2019 में सोनीपत के नवीन के साथ शादी हुई। शादी के 2 साल तक सब ठीक रहा। पहला बेटा हुआ। उसके बाद पूनम के हाव-भाव बदलने लगे। उसे सुंदर बच्चों से चिढ़ होने लगी। (पूरी खबर पढ़ें)


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