किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत अझाभिट्ठा वार्ड संख्या-10 निवासी गोविंद सिंह की 17 अगस्त 2023 को महानंदा नदी पार करने के दौरान डूबने से मौत हो गई थी। बिहार सरकार के प्रावधानों के अनुसार, पानी में डूबने से हुई मौत पर मृतक के आश्रितों को 4 लाख रुपए की आपदा राहत राशि दी जानी है, लेकिन घटना के करीब 2 साल 4 महीने बीत जाने के बावजूद आज तक पीड़ित परिवार को एक रुपए की भी सहायता नहीं मिल सकी है। मृतक अपने पीछे 12 साल का बेटा और करीब 9 साल की बेटी को छोड़ गए हैं। पति की मौत के बाद उनकी विधवा पत्नी जशोदा देवी पर बच्चों के पालन-पोषण और पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी आ गई है। ऐसे में सरकार की यह सहायता राशि परिवार के लिए बड़ा सहारा बन सकती थी। सभी दस्तावेज देने के बाद भी फाइल गायब जशोदा देवी ने मृत्यु प्रमाण पत्र, प्राथमिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, बैंक पासबुक और आधार कार्ड सहित सभी आवश्यक कागजात के साथ 2 फरवरी 2024 को ठाकुरगंज अंचल कार्यालय में आवेदन दिया था। इसके बाद वह लगातार कार्यालय का चक्कर लगाती रहीं, लेकिन हर बार उन्हें यही जवाब मिला कि फाइल नहीं मिल रही है। परिजनों के अनुसार, अंचल कार्यालय की ओर से उन्हें दोबारा आवेदन करने की सलाह दी गई। मजबूर होकर जशोदा देवी ने 17 दिसंबर 2025 को फिर से आवेदन जमा किया। यह पूरा मामला पूर्व अंचल अधिकारी सुचिता कुमारी के कार्यकाल से जुड़ा बताया जा रहा है। वर्तमान अंचल अधिकारी बोले– जानकारी अभी मिली है मामले को लेकर गुरुवार को वर्तमान अंचल अधिकारी मृत्युंजय कुमार ने दूरभाष पर बताया कि यह प्रकरण उनके संज्ञान में अभी तक नहीं था और न ही पीड़ित परिवार का कोई सदस्य उनसे मिला है। उन्होंने कहा कि यह जानकारी उन्हें मीडिया के माध्यम से मिली है और वह जल्द ही पूरे मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि इतने वर्षों तक फाइल कहां और क्यों अटकी रही, इसकी भी जांच की जाएगी। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग यह मामला सिर्फ कागजी देरी का नहीं, बल्कि एक विधवा महिला और दो मासूम बच्चों के भविष्य से जुड़ा है। फाइल गुम होने और आपदा राहत राशि में अनावश्यक देरी को लेकर स्थानीय लोगों और परिजनों ने जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही यह भी मांग उठ रही है कि प्रशासन ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करे, जिससे भविष्य में किसी भी गरीब और पीड़ित परिवार को सरकारी सहायता के लिए वर्षों तक भटकना न पड़े।
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