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जलजमाव वाले क्षेत्रों में मछली-मखाना व सिंघाड़ा का उत्पादन, किसान हो रहे समृद्ध

भास्कर न्यूज|अररिया जिले में जलजमाव वाले क्षेत्रों में किसान मछली के उत्पादन के साथ ही मखाना व सिंघाड़ा की खेती कर रहे है। जिससे उनकी आमदनी बढ़ रही है। पहले जलजमाव वाले क्षेत्रों में किसान कुछ नहीं कर पाते थे। लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र की पहल पर किसानों में जागरूकता आई। नतीजा जिले के हजारो हेक्टेयर जलजमाव वाले क्षेत्र में मखाना व सिंघाड़ा की खेती खूब हो रही है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि उत्तर बिहार में निजी जमीन पर जलजमाव के कारण किसान पहले बेकार रहते थे। इसका कारण था कि फसल के अलावा किसान कुछ अलग नहीं सोच पाते थे। अब जलजमाव वाले क्षेत्रों में सरकार की ओर से कई रोजगार की योजनाएं चलाई जा रही है। मछली पालन से काफी आमदनी हो रहा है। मछली उत्पादन के लिए आंध्रप्रदेश पर बिहार की निर्भरता कम हुई है और इसका नया कंसेप्ट आया है। मछली पालन के साथ-साथ अब मखाना व सिंघाड़ा उत्पादन पर सरकार का जोर है। यहां की मिट्टी इसके उत्पादन के लिए सटीक मानी जा रही है। वहीं बाढ़ से निजात के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रघुवंश कुमार सिंह ने सुझाव दिया था कि अररिया जिला भी इस तरह की खेती के लिए उपयुक्त है। यहां के किसान इस तरह की खेती कर बेहतर आमदनी कर सकते हैं। मखाना की खेती में महिलाएं भी दे रहीं साथ जिले में मखाने की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। जिन किसानों की जमीन बंजर होने व जलजमाव की वजह से बेकार पड़ी थी। अब किसान अपनी बेकार पड़ी ज़मीन में मखाने की खेती कर खुशहाल जिंदगी बसर कर रहे हैं। इस काम में महिलाएं भी बढ़ चढ़कर लगी हुई हैं। यहां से तैयार मखाना जा रहा विदेश : वैज्ञानिक यहां के किसान सिंघाड़ा व मखाना की खेती कर समृद्ध हो रहे हैं। यहां से तैयार मखाना विदेश जा रहा है। यहां के किसानों के लिए एक बेहतर पहल यह है कि धान के साथ-साथ मछली पालन से भी आय बढ़ा सकते हैं। डॉ विनोद कुमार,वरीय वैज्ञानिक


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