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लीगल राइट नहीं थी, फिर भी घर पर चला बुलडोजर:पीड़ित बोला- मकान नहीं हमारा भरोसा टूटा है, अखिलेश यादव ने किया था जिक्र

अम्बेडकरनगर के अकबरपुर थाने के अरिया बाजार में 13 दिसंबर को जेसीबी की तेज आवाज गूंजी। चंद मिनटों में वह मकान, जिसमें कभी परिवार की रोजमर्रा की आवाजें गूंजती थीं, मलबे में तब्दील हो गया। यह कोई सामान्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि एक ऐसे जमीन विवाद की तस्वीर थी, जो वर्षों से अदालत की फाइलों में कैद है। बावजूद इसके, कानून की मुहर लगे बिना ही ताकत का बुलडोजर चल गया। इसी घटना को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गुरुवार सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा हमारे पूर्व मंत्री बता रहे थे कि अंबेडकरनगर में एक व्यक्ति का घर गिरा दिया गया। जब यह कार्रवाई कानूनी रूप से सही नहीं थी, तो अब पूरा प्रशासन समझौता कराने में क्यों जुटा है। ग्राउंड पर हालात कुछ और कहानी कहते हैं। अरिया बाजार में खसरा संख्या 78 के अनुपालन के नाम पर कार्रवाई दिखाई गई, लेकिन जेसीबी की चोट खसरा संख्या 76 पर खड़े मकान पर पड़ी। यानी कागज कुछ और, जमीन कुछ और। जिस विवाद पर अदालत फैसला सुनाने वाली है, वहां फैसला पहले ही सुना दिया गया। हैरानी की बात यह रही कि यह सब कानूनगो, लेखपाल की मौजूदगी में हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जब जेसीबी चली, उस वक्त न तो कोई कोर्ट आदेश था। बाद में पहुंचे नायब तहसीलदार ने साफ कहा हमारे पहुंचने से पहले ही मकान गिराया जा चुका था। यह बयान अपने आप में पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। हालांकि पुलिस ने कहा घटना के समय लेखपाल और कानूनगो की मौजूदगी थी। पीड़ित महेंद्र सिंह ने कहा था- हमारा मामला कोर्ट में है। फिर भी पुलिस के सामने हमारा घर गिरा दिया गया। यह सिर्फ मकान नहीं टूटा, हमारा भरोसा टूटा है। स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई रोकी जाती, तो यह घटना टल सकती थी। मामला तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने दो जेसीबी मशीनों को सीज कर जांच शुरू कर दी है। वहीं डीएम अनुपम शुक्ला ने बताया- इसमें धारा 134 राज्य से संहिता के अंतर्गत एक आदेश अपर जिलाधिकारी के यहां से पारित किया गया। गाटा संख्या 378 पर बदखली का आदेश था। इसके अलावा 376 पर भी आदेश था कि जो सिविल कोर्ट का आदेश 1977 में था उसका अनुपालन कराया जाए। जानकारी मिली कि वहां पर कुछ बिल्डिंग बुलडोजर से गिराया गया है। एक जांच कमेटी गठित कर दिया गया है। इसमें इशू है कि 376 गाटा के पीछे 377 और उसके पीछे 378 377 सरकारी जमीन है। उसी के अगल-बगल एक तलाब की जमीन है और एक बंजर की जमीन है। मामले में विस्तृत जांच की जा रही है। जो रिपोर्ट आएगी उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।


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