सोनभद्र के राबर्ट्सगंज ब्लॉक के रामपुर गांव में सोलर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण का मामला गरमा गया है।प्रशासन और ग्रामीणों के बीच गतिरोध बना हुआ है।गुरुवार को हुई एक बैठक में तहसीलदार मनोज मिश्र के एक बयान से ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ गया। तहसीलदार मनोज मिश्र ने माइक पर कहा कि “जमीन दीजिए चाहे न दीजिए, प्रशासन जबरिया ले लेगा।”इस बयान के बाद ग्रामीणों का गुस्सा भड़क गया। हालांकि, ग्रामीणों के तेवर देखकर तहसीलदार बाद में नरम पड़ गए। राबर्ट्सगंज तहसील के रामपुर और बहरा गांव में सोलर प्लांट स्थापित किया जाना है।इसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। जानकारी के अनुसार,मुट्ठी भर किसानों को छोड़कर लगभग 80 प्रतिशत किसान अपनी जमीन देने को तैयार नहीं हैं। इससे पहले कानूनगो और लेखपाल स्तर पर ग्रामीणों से बातचीत हो चुकी थी,लेकिन कोई सफलता नहीं मिली थी। सफलता न मिलने पर गुरुवार को तहसीलदार मनोज मिश्र अपनी टीम के साथ रामपुर पहुंचे।एक टेंट में खुली सुनवाई के लिए बैठक का आयोजन किया गया था।अधिकारियों के बैठने के बाद केवल आठ-दस किसान ही कुर्सियों पर बैठे।लाउडस्पीकर से सड़क पर खड़े किसानों को मंच के सामने आकर अपनी बात रखने का आह्वान किया गया,लेकिन वे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ नारेबाजी करते रहे और मंच के सामने आने से इनकार कर दिया। काफी मान-मनौवल के बाद कुछ किसान मंच के पास पहुंचे। लेकिन 80 प्रतिशत से अधिक किसान सोलर प्लांट के लिए भूमि देने को तैयार नहीं हुए।केवल चार से पांच किसान ही जमीन देने के लिए राजी हुए। जमीन न देने वाले किसानों में अमरजीत पटेल, धर्मेंद्र बहादुर, विजेंद्र बहादुर,राममूर्ति, संशयों, राज कमला, श्यामा,महेंद्र कुमार, सावित्री देवी, विद्यावती देवी,अवधनारायण, शिव शंकर, बंधना और अनिल कुमार सहित कई अन्य शामिल थे। इन किसानों का कहना था कि जो लोग जमीन देने को तैयार हैं, उनकी जमीन बंजर या तालाब वाली है, जिसे वे सरकार को देकर मुआवजा लेना चाहते हैं। जबकि उनकी जमीन उपजाऊ है और “सोना उगलने वाली” है। इस जमीन पर धान और गेहूं की फसल से उनका जीवन-यापन होता है, बेटियों की शादी और सभी पर्व पूरे होते हैं। विरोधियों की संख्या अधिक होने के कारण तहसीलदार भी नरम पड़ गए।
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