सीतापुर के बिसवां तहसील क्षेत्र में एक बार फिर नहर कटने की घटना ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। मानपुर से निकलकर महमूदाबाद की ओर जाने वाली नहर, जिसकी कुछ दिन पहले ही खुदाई कराई गई थी, जोकि गुरुवार दोपहर अचानक दो जगहों पर फट गई। नहर में करीब एक सप्ताह पहले ही पानी छोड़ा गया था, लेकिन आज हुई इस घटना के चलते सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गई, जिससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। जब ग्रामीणों ने खेतों में पानी भरा देखा तो गांव में अफरा-तफरी मच गई। देखते ही देखते बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर इकट्ठा हो गए। किसानों ने तत्काल इसकी सूचना नहर विभाग के जेई अमित वर्मा और सिंचपाल अमरदीप को दी, लेकिन आरोप है कि विभागीय अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। इसके बजाय महेश टंडैल को भेजा गया, जिन्होंने जेसीबी मशीन की मदद से अस्थायी रूप से नहर पर बांध बंधवाया। ग्रामीणों और किसानों का कहना है कि नहर फटने की यह घटना किसी तकनीकी खामी से नहीं, बल्कि श्याही जानवर की वजह से हुई है। किसानों के अनुसार श्याही जानवर ने रात के समय नहर को दो स्थानों पर काट दिया, जिससे पानी का तेज बहाव खेतों में घुस गया और खड़ी फसलें पूरी तरह डूब गईं। गेहूं, सरसों और अन्य रबी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। किसानों का आरोप है कि नहर की हालिया खुदाई में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया, जिससे नहर कमजोर बनी हुई है। ऊपर से श्याही जानवर की गतिविधियों ने हालात और खराब कर दिए हैं। पीड़ित किसानों ने प्रशासन से तत्काल नुकसान का आकलन कराने और उचित मुआवजा दिलाने की मांग की है। ग्रामीणों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि हर साल इसी तरह नहर टूटने से फसलें बर्बाद होती हैं, लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकाला जाता। अब सवाल यह है कि जलमग्न हुई फसलों का मुआवजा किसानों को मिल पाएगा या नहीं और आखिरकार किसानों का रखवाला कौन बनेगा।
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