इटावा में मुख्यमंत्री युवा ओडीओपी और एमवाईएसवाई योजना के तहत ऋण ऋण लेने वाले आवेदकों ने बैंक अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए है। आवेदकों का कहना है कि बैंक मैनेजर ऋण स्वीकृत करने के बदले दस प्रतिशत तक रिश्वत मांग रहे हैं। जिसके बाद हम लोग करीब छह माह से भटक रहे हैं। शिकायत के बाद सीडीओ ने बैंक अधिकारियों के साथ बैठक कर कार्रवाई के निर्देश दिए। गुरुवार दोपहर विकास भवन कार्यालय में करीब आधा सैकड़ा से अधिक ऋण आवेदक मुख्य विकास अधिकारी से मिलने पहुंचे। युवाओं ने बताया कि वे पिछले छह महीने से लगातार बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। हर बार कागजात में कमी बताकर ऋण रोका जा रहा है, जिससे वे बेरोजगार होकर परेशान हैं। जानकारी के मुताबिक गुरुवार दोपहर विकास भवन कार्यालय में करीब आधा सैकड़ा ऋण आवेदक मुख्य विकास अधिकारी से मिलने पहुंचे। जिस पर उन्होंने विभिन्न बैंक के शाखा प्रबंधकों पर 5 लाख के लोन पर 10% रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। आवेदको ने यह भी कहा है कि पिछले 6 माह से हम लोग बैंक के चक्कर काट रहे हैं। बैंक अधिकारी किसी न किसी कमी को लेकर हमारे लोन स्वीकृत नहीं कर रहे हैं। जिस कारण हम लोग काफी परेशान हैं। जो भी प्रपत्र हम लोगों ने तैयार करवाए हैं उसका भी पैसा हम लोगों ने खर्च किया है। और अब ऋण भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। अगर ऋण नहीं दिया जा रहा तो हमारा जो पैसा खर्च हुआ काम से कम वह हमको लौटा दे। इस मामले की शिकायत मुख्य विकास अधिकारी अजय कुमार गौतम से की थी। जिस पर आज उन्होंने संबंधित बैंक अधिकारी कर्मचारियों को बुलाकर सभी आवेदकों के निस्तारण के निर्देश दिए हैं। दीक्षा गौतम ने बताया कि हम लोग बेरोजगार हैं इसीलिए हम लोगों ने सरकारी लोन के लिए आवेदन किया था। लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी हम बैंक के लगातार चक्कर काट रहे हैं बैंक अधिकारी हमसे ₹50 हजार की रिश्वत की मांग करते हैं जब हमारे पास पैसा होता तो फिर हम आखिर लोन क्यों लेते।ले। वही ऋण आवेदक अजय कुमार ने बताया कि आज हम सभी लोग एकत्रित होकर मुख्य विकास अधिकारी से शिकायत करने आए हैं क्योंकि, हमारा लगातार नुकसान हो रहा है हम लोग परेशान हैं बैंक के चक्कर लगाकर जिन लोगों ने 10% रिश्वत दे दी है। उनके ऋण स्वीकार कर लिए जा रहे हैं उनको लोन दे दिया जा रहा है बाकी लोगों के कागजों में कमी का हवाला देकर बैंक अधिकारी टहलाते हैं। अजय कुमार गौतम, मुख्य विकास अधिकारी इटावा द्वारा बैंकों के शाखा प्रबंधकों को निर्देशित किया गया कि लंबित प्रकरणों का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण किया जाए तथा किसी भी स्तर पर अनावश्यक विलम्ब न हो। साथ ही, लाभार्थियों को आवश्यक दस्तावेजों की स्पष्ट जानकारी उपलब्ध कराने एवं समन्वय बनाकर योजनाओं का लाभ समयबद्ध रूप से प्रदान करने पर बल दिया गया। जिससे लाभार्थियों को कोई आपत्तिजनक स्थिति न हो। प्रशासन का उद्देश्य है कि पात्र युवाओं को स्वरोजगार हेतु वित्तीय सहायता सहज रूप से उपलब्ध हो, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित हों और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिले।
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