सोनभद्र जिले के बिल्ली मारकुंडी क्षेत्र में एक खदान दुर्घटना के बाद 37 खदानों में खनन और परिवहन कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे खनन व क्रशर उद्योग से जुड़े हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। डाला उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष मुकेश जैन ने खान सुरक्षा निदेशालय (DGMS) वाराणसी क्षेत्र के निदेशक को पत्र भेजकर इन बंद खदानों को सुरक्षित रूप से फिर से चालू करने की मांग की है। यह प्रतिबंध बिल्ली मारकुंडी स्थित एक खदान में हुए हादसे के बाद लगाया गया था। इस निर्णय से खनन और क्रशर उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े छोटे-बड़े दुकानदार, व्यापारी, ट्रांसपोर्टर, वाहन मालिक और मजदूर सभी प्रभावित हुए हैं। उन्हें दैनिक जीवन यापन सहित कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। डाला उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष मुकेश जैन ने अपने पत्र में बताया कि खनन कार्य पर पूर्ण प्रतिबंध लगने से सीधे तौर पर 10 हजार मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इन मजदूरों पर आश्रित लगभग 30 हजार परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ये दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूर हर मौसम में खदानों में काम कर अपने परिवारों का भरण-पोषण करते थे। खदानों में पत्थर ढोने के काम में लगे दो हजार से अधिक टीपर, पांच सौ कंप्रेसर मशीनें और सैकड़ों पोकलेन मशीनों का संचालन पूरी तरह ठप हो गया है। इसके अलावा, पत्थर खदानों पर निर्भर 250 क्रशर प्लांट भी बंद हो गए हैं, जिससे ‘डाला स्टोन’ के नाम से मशहूर गिट्टी का उत्पादन रुक गया है। खनन उद्योग पर निर्भर डाला, ओबरा और चोपन में संचालित चाय-पान की दुकानें, ठेले, पंचर की दुकानें और सैलून जैसे छोटे व्यवसायों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है। व्यापार मंडल ने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो बेरोजगार मजदूरों और उनके परिवारों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और उन्हें रोजी-रोटी की तलाश में अन्य प्रदेशों की ओर पलायन करना पड़ेगा।
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