पटना के बांकीपुर से बीजेपी विधायक नितिन नबीन को भाजपा ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। उन्होंने दिल्ली स्थित पार्टी हेडक्वार्टर में जिम्मेदारी भी संभाल ली है। नितिन नबीन स्वभाव से सौम्य-शालीन और विनम्रता के लिए जाने चाहते हैं। पढ़ाई-लिखाई में आगे रहा करते थे। पर एक समय नितिन नबीन ने अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के फिल्म डायरेक्टर को नोटिस भेज दी थी। वे बांकीपुर की बदनामी से नाराज हुए थे। वहीं, करीबियों का कहना है कि नितिन पहले काफी पतले थे, मोटे होने के लिए उन्होंने ताड़ी पीना शुरू किया था। नितिन नबीन की ऐसी 5 कहानियां रिपोर्ट में पढ़िए… स्टोरी- 01: अपने क्षेत्र बांकीपुर को खराब दिखाने पर हुए थे नाराज 2016 में फिल्म डायरेक्टर प्रकाश झा की फिल्म ‘जय गंगाजल’ रिलीज हुई। इस फिल्म को लेकर नितिन नबीन काफी नाराज हुए थे। दरअसल, फिल्म में अभिनेता मानव कौल को बांकीपुर से विधायक बताया गया, जिसमें उनका किरदार बाहुबली विधायक के रूप में दिखाया गया। फिल्म में विधायक को एक दबंग-अपराधी के रूप में प्रेजेंट किया गया था। जिस समय ये फिल्म रिलीज हुई थी, उस समय बांकीपुर से नितिन नबीन विधायक थे। उनका कहना था कि फिल्म डायरेक्टर ने मूवी के जरिए न केवल हमारी व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि उनके निर्वाचन क्षेत्र की भी बदनामी हुई है। इसके लिए उन्होंने 2016 में प्रकाश झा को कानूनी नोटिस भेज दिया था। पटना हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की थी। जिसके बाद प्रकाश झा को माफी मांगनी पड़ी थी। हाईकोर्ट में याचिका दायर की याचिका में आरोप लगाया था कि एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि और वास्तविक विधानसभा क्षेत्र का नाम इस्तेमाल कर गलत छवि पेश की गई, जिससे हमारी सामाजिक और राजनीतिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा है। नितिन नबीन ने कहा था कि फिल्म से केवल एक विधायक की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। नितिन नबीन ने अपनी याचिका में लिखा, प्रकाश झा का जन्म बिहार में हुआ है और उन्होंने राज्य में जदयू की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। इसलिए, यह मानना गलत होगा कि वह बांकीपुर और लखीसराय के अस्तित्व से अनजान हैं, जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रकाश झा माफी मांगे और निर्वाचन क्षेत्र के संदर्भ को हटाए, जिसे झा ने नहीं किया, जिसके कारण उन्हें पटना उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा था। स्टोरी- 02: नितिन नबीन ने कहा था… राजनीति में जब आऊंगा तो वो बुरा वक्त होगा नितिन नबीन के पिता नवीन प्रसाद सिन्हा पश्चिम पटना से बीजेपी के विधायक थे और कद्दावर नेता माने जाते थे। पिता ने नितिन नवीन को विरासत संभालने के लिए कई बार कहा था, लेकिन नितिन राजनीति में नहीं आना चाहते थे। नितिन नवीन कहते हैं कि, जब मैं बीटेक कर रहा था, तब एक बार दोस्तों के साथ बैठा था। स्लैम बुक में सभी को कुछ ना कुछ लिखने के लिए कहा गया था। उस समय मैंने लिखा था कि राजनीति में कभी नहीं आऊंगा। जिस दिन राजनीति में आना पड़ेगा वो जीवन का सबसे बुरा वक्त होगा।’ हालांकि नितिन 26 साल की उम्र में राजनीति में आ गए थे। चुनाव जीतने के बाद उन्हें हार नहीं मिली। स्टोरी- 03: टिकट मिलने वाली है, राजनाथ सिंह ने फोन कर कहा था पिता के निधन के बाद राजनीतिक विरासत संभालने की जिम्मेदारी कंधे पर मिली। नितिन नबीन के दोस्त संजय बताते हैं कि उस समय डॉ. सीपी ठाकुर प्रदेश अध्यक्ष थे। नितिन कुछ कार्यकर्ताओं से बात की कि आगे क्या करना चाहिए ? नितिन के पिता जी के ब्रम्ह भोज में सीपी ठाकुर आए थे। हमलोगों ने उनको कहा था कि किसी भी कीमत पर चुनाव कोई लड़ेगा तो वो नितिन ही लड़ेंगे, जिसके बाद नितिन चुनावी मैदान में आए। नितिन नवीन बताते हैं, जब पिता के बरसी के मौके पर तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फोन कर सबसे पहले जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था पार्टी ने टिकट देने का फैसला किया है और चुनाव आपको लड़ना है। स्टोरी- 04: मोटे होने के लिए ताड़ी पीने की मिली थी सलाह नितिन नबीन काफी दुबले-पतले थे। उनके पिता नवीन सिन्हा काफी कोशिश किए, ताकि वे मोटे हो जाए। नितिन के दोस्त कहते हैं कि, मैंने नितिन को एक बार सलाह दी थी कि ताड़ी पिजीए। ताड़ी पीने से शरीर हेल्दी हो जाता है। मैं हर दिन सुबह ताड़ी लाकर नितिन को दिया करता था। हालांकि, नितिन नबीन एक घूंट लिया तो उन्हें ठीक नहीं लगा और कभी ताड़ी नहीं पिया। स्टोरी- 05: यूपीएससी की तैयारी करना चाहते थे नितिन के पिता के दोस्त बबलू गांधी बताते हैं कि, नितिन नवीन ने रांची से बीटेक किया है। अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते थे। वे यूपीएससी की तैयारी करना चाहते थे, लेकिन पिता जी के निधन के बाद उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ा। वहीं, नितिन नबीन के पिता के दोस्त संतोष बताते हैं कि 14 दिसंबर 2025 को कार्यकर्ता सम्मेलन चल रहा था। इसी दौरान उन्हें 3.45 बजे नितिन ने फोन पर कहीं बात की, फिर हमलोगों से कहा कि आपलोग यहीं रुकिए। कहीं जाइएगा नहीं, अगर गए तो फिर आना पड़ेगा। उस वक्त उनके चेहरे पर खुशी थी। बाद में पता चला कि उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। कभी किसी को ऊंची आवाज में जबाव नहीं दिया कार्यकर्ता ममता पांडे ने बताया कि, हमारा उनके साथ कार्यकर्ता की तरह नहीं, बल्कि पारिवारिक संबंध रहा है। नितिन मुझे हमेशा अपनी बड़ी बहन की तरह मानते हैं। उन्होंने पार्टी के लिए मेहनत की है। इसी कारण उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। मैं बड़ी बहन की तरह कुछ बोल भी देती थी तो नितिन नबीन चुपचाप सुन लेते हैं। कभी भी ऊंची आवाज में जवाब नहीं दिया है। उनके स्वभाव की वजह से हम इतने सालों से उनसे जुड़े हैं। इनकी मां आज होती तो बहुत खुश होतीं।
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