‘मोबाइल आपके आदमी तक पहुंच जाएगा। बड़े साहब खुद अपने हाथों से लेकर जाएंगे। आप तो कैदी की डिटेल और पैसे दीजिए। की पैड वाला मोबाइल और सिम 15 हजार में बैरक तक पहुंचा दिया जाएगा। अगर बात फोन पर बात करनी है तो कभी भी करा देंगे। बस UPI कर दिया कीजिएगा, हम जेल पहुंचकर फोन पर बात करा दिया करेंगे।’ यह बिहार की सबसे बड़ी जेल की सुरक्षा को बेपर्दा करने वाली डील है। गृहमंत्री सम्राट चौधरी के दावों को चैलेंज करता एजेंट भास्कर के खुफिया कैमरे में कैद हुआ है। भास्कर के ऑपरेशन जेल में एजेंट्स ने जेल की सुरक्षा को एक्सपोज किया है। देखिए और पढ़िए गृहमंत्री सम्राट चौधरी के दावों पर भास्कर की सबसे बड़ी इन्वेस्टिगेशन… सम्राट के दावों से शुरू हुई भास्कर की इन्वेस्टिगेशन बिहार में NDA की नई सरकार बनते ही गृहमंत्री सम्राट चौधरी एक्शन में हैं। सुशासन और कानून का राज स्थापित करने के लिए सम्राट ने जेल में बंद माफियाओं पर एक्शन शुरू किया है। सम्राट चौधरी ने जेल और वहां बंद माफिया और उनकी मॉनिटरिंग को लेकर कई चैलेंज किए हैं। पहले गृहमंत्री का चैलेंज जानिए.. ‘माफिया किसी भी स्तर का हो, उसे हर हालत में बेऊर जेल के अंदर ही रहना होगा। माफियाओं के लिए जेल से बाहर कोई जगह नहीं होगी। 60% क्राइम जेल से होता है। मॉनिटरिंग के लिए 10 हजार कैमरे जेल के अंदर लगवाने का काम चल रहा है। अब तो किसी भी चीज को जाने नहीं दूंगा। माफिया राज नहीं चलेगा।’ सम्राट चौधरी की दावों की पड़ताल में भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम ने ऑपरेशन जेल चलाया। इसमें बिहार की सबसे बड़ी और चर्चित बेऊर जेल से लेकर राज्य की आधा दर्जन से अधिक जेलों की रेकी कराई फिर इन्वेस्टिगेशन की। 10 दिनों तक चली भास्कर की इन्वेस्टिगेशन में कई खुलासे हुए जो सुरक्षा के दावों की पोल खोलने वाले हैं। जहां अनंत सिंह और रीतलाल जैसे बाहुबली वहां की सुरक्षा भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम सबसे पहले पटना के बेऊर जेल पहुंची। जहां अनंत सिंह और रीतलाल जैसे बाहुबली के साथ कई सैकड़ों कुख्यात बंद हैं। जेल के बाहर ठेले लगाकर सामान बेचने वाले लोग न सिर्फ कैदियों के परिजनों से बातचीत कर रहे थे, बल्कि ऑनलाइन मुलाकात की बुकिंग खुद पैसे लेकर दिखे। कई ठेले वाले संदिग्ध हाल में दिखे। जेल के बाहर का माहौल देखकर ऐसा लग रहा था यह किसी एक व्यक्ति का खेल नहीं, बल्कि इसके पीछे पूरा संगठित नेटवर्क काम कर रहा है। भास्कर इन्वेस्टिगेशन टीम पटना के बेऊर जेल पहुंची। यहां दो ठेले वाले दिखे। हमारी मुलाकात ठेले पर भूंजा और बिस्किट के साथ सत्तू बेचने वाले चिक्कू से हुई। चिक्कू ने हमे देखते ही इशारा कर बुला लिया। इसके बाद वह पूरी डील करने लगा। चिक्कू – क्या काम है, मुलाकात करना है क्या? रिपोर्टर – जी, कुछ काम है? चिक्कू – मिलना है क्या? रिपोर्टर – नहीं, सामान अंदर पहुंचाना है। चिक्कू – नंबर लगवा लीजिए, काम हो जाएगा। रिपोर्टर – नंबर लगाने से सामान कैसे चला जाएगा? चिक्कू – नहीं भाई, सामान के लिए 4 सौ रुपए अलग से लगेगा। रिपोर्टर – तब कैसा नंबर लगाना होगा? चिक्कू – पहले 100 रुपए देकर नंबर लगाइए, फिर आगे देखा जाएगा। रिपोर्टर – मोबाइल और सिम भी भेजना है। चिक्कू – सामान तो चला जाएगा, लेकिन मोबाइल और सिम मुझसे नहीं होगा। रिपोर्टर – मोबाइल ही तो जरुरी है, कैसे जाएगा? चिक्कू – मोबाइल और सिम के लिए भाई से मिलिए, वही बताएगा ऐसे गेट तक आप ही को ले जाना होगा। रिपोर्टर – हो जाएगा ना? चिक्कू – कैंटीन से सेटिंग करनी होगी, हो जाएगा। रिपोर्टर – वहां से चला जाता है कैदी तक? चिक्कू – हां, पैसा एक्स्ट्रा लगेगा, तो हो जाएगा, लेकिन पहले 100 रुपया ऑनलाइन का लगेगा। जेल के बाहर बहुत माफिया हैं, सामान इन करा देंगे चिक्कू ने अपने भाई निशांत से हमारी मुलाकात कराई। निशांत जेल में मुलाकात के लिए आने वाले लोगों को चिक्कू तक पहुंचाता है। निशांत ने जेल के बाहर मौजूद लोगों को इशारे से बताया कि कौन मोबाइल अंदर पहुंचाने में हमारी मदद कर सकता है। निशांत इशारा से कुछ लोगों को दिखाते हुए दावे के साथ बोला यह सब यहां का माफिया है, इससे बात कर लीजिए, हर काम चुटकी में हो जाएगा। रिपोर्टर – मुलाकात करनी है, कुछ सामान भी भेजना है? निशांत – ऑनलाइन करा लीजिए। रिपोर्टर – ऑनलाइन तो मैं करा लूंगा, लेकिन सामान कैसे जाएगा? निशांत – ऑनलाइन कहां से कराइएगा? रिपोर्टर – आपसे ही कराऊंगा। निशांत – ठीक है, पहले पैसे लाइए। रिपोर्टर – क्या प्रोसेस है, पूरा समझा दीजिए? निशांत – आज मिलना है तो अंदर जिनसे मिलना है, उनसे कह देना कि मैं स्टाफ हूं, तो मुलाकात हो जाएगी। रिपोर्टर – ऐसा क्यों करना पड़ेगा? निशांत – क्योंकि रजिस्ट्रेशन एक दिन पहले ही कराया जाता है, आप जिस कैदी से मिलना चाहते हैं। रिपोर्टर – ठीक है, यह पता नहीं था मुझे। निशांत – जिनसे मिलना है आप उनके कौन लगते हैं? रिपोर्टर – मैं रिलेटिव हूं। निशांत – ठीक है, वार्ड के साथ पूरी डिटेल बताइए? रिपोर्टर – बैरक व पूरा निशांत – ठीक है, ऑनलाइन कराइए। रिपोर्टर – पहले सामान पहुंचाने की सेटिंग हो जाए। निशांत – पहले पुर्जा कटाइए। रिपोर्टर – ठीक है, पुर्जा कटवा लेंगे। निशांत – इनसे मिल लीजिए काम हो जाएगा। (निशांत ने पास में ठेला लगाए कृष्णा की ओर इशारा किया) रिपोर्टर – वह क्या करता है, सेटिंग है क्या? निशांत – जितना भी काम है, सब हो जाएगा। रिपोर्टर – यही करेगा जो ठेला लगाकर सामान बेच रहा है? निशांत – हां, वह कर देगा। वह जेलर का खास आदमी है। निशांत से बातचीत के बाद हम कृष्णा से मिले जिसके बारे में निशांत ने इशारा करके बताया था। कृष्णा दिखावे के लिए जेल के बाहर दुकान लगाता है। पहली नजर में यह समझना मुश्किल था कि जेल के अंदर चल रही इस पूरी सेटिंग में कृष्णा की इतनी अहम भूमिका है। जब निशांत से बातचीत चल रही थी, तब कृष्णा चुपचाप सब सुन रहा था। जैसे ही मैं उसके पास पहुंचा, कृष्णा ने दावे के साथ कहा काम हो जाएगा। रिपोर्टर – अरे, कहां काम हो गया? कृष्णा – कौन सा काम है आपका बताइए? रिपोर्टर – सामान पहुंचाने का काम है, बहुत जरुरी है। कृष्णा – वह तो चला ही जाएगा, टेंशन नहीं लीजिए। रिपोर्टर – नहीं भाई, मोबाइल और सिम कार्ड भेजना है। कृष्णा – बिना इधर-उधर देखे आधा घंटा इंतजार कीजिए, सब हो जाएगा। रिपोर्टर – यहीं बैठ जाएं क्या? कृष्णा – नहीं कहीं और जाकर चुपचाप बैठ जाइए, अभी राजीव आएगा, फिर सब हो जाएगा। रिपोर्टर – ठीक है, राजीव कौन है? कृष्णा – वह अपना आदमी है, उसका नंबर लीजिए, बात कीजिए। (कृष्णा ने गल्ले से एक कागज निकालकर नंबर दिया) रिपोर्टर – इस नंबर पर फोन ही नहीं लग रहा है। कृष्णा – लग जाएगा, थोड़ी देर बाद फिर लगाइएगा। रिपोर्टर – काम हो जाएगा न? कृष्णा – हां-हां, जिससे बात कर रहा हूं, उसका नाम राजीव है। यह काम किसी और के बस की बात नहीं है। रिपोर्टर – ये जेल में नौकरी करते हैं क्या? कृष्णा – नहीं, लेकिन बहुत पकड़ है। रिपोर्टर – सामान आसानी से चला जाता है? कृष्णा – नहीं, अब पहले से थोड़ा ज्यादा सख्त हो गया है। रिपोर्टर – फिर ये कैसे चला जाते हैं? कृष्णा – पकड़ है, देखिएगा खुद जेलर अपने साथ लेकर जाएगा। डायरेक्ट ले जाकर मिलवा भी देगा। राजीव का सीधा जेलर से संपर्क है बातचीत में एजेंट कृष्णा ने दावा किया कि राजीव इस जेल का बड़ा सेटर है। वह सीधा जेलर से डील करता है। डायरेक्ट जेलर से संबंध है, तो सामान क्यों नहीं पहुंच जाएगा। जिसकी पकड़ है, वही जेल में यह सब कर सकता है। राजीव को पकड़िए जेल का कोई काम हो सब हो जाएगा। कृष्णा से बातचीत में यह बात सो हो गई थी कि जेल का किंग पिन राजीव ही है जो मोबाइल से लेकर अन्य प्रतिबंधित सामानों को अंदर पहुंचाने का काम करता है। तह तक पहुंचने के लिए रिपोर्टर ने कृष्णा से मिले नंबर पर दोबारा कॉल किया। इस बार नंबर मिल गया और राजीव से बात होते ही वह पूरी सेटिंग बता दिया। लगभग एक घंटे इंतजार के बाद राजीव जेल गेट के पास पहुंचा। आते ही कृष्णा ने बात कराने का इशारा किया। राजीव के आते ही कृष्णा ने पहचान करा दिया। रिपोर्टर – भैया, मिलना था, लेकिन ऑनलाइन का पता नहीं था? राजीव – हो जाएगा, कोई बात नहीं। रिपोर्टर – कुछ सामान भी है, अंदर भेजवाना है। राजीव – क्या सामान है? रिपोर्टर – मोबाइल और सिम कार्ड है। राजीव – मोबाइल तो नहीं जाता है। रिपोर्टर – देख लीजिए, छोटा मोबाइल और एक सिम है। राजीव – खाने वाला सामान भी है? रिपोर्टर – हां, वह ले लिया जाएगा। राजीव – किस वार्ड में कैदी है? रिपोर्टर – भैया, मुलाकात न भी हो, लेकिन सामान पहुंच जाए। राजीव – मुलाकात भी होगी और सामान भी पहुंच जाएगा। रिपोर्टर – काम करा दीजिए, बहुत जरुरी है। राजीव – पैसा लगेगा, सब काम हो जाएगा। रिपोर्टर – ऐसा काम ही है, मैं समझ रहा हूं, बिना पैसे के नहीं होगा। राजीव – और कहीं गए थे? रिपोर्टर – नहीं, कहीं नहीं गए। जेलर साहब से बात करनी होगी, फिर मोबाइल जाएगा राजीव ने बातचीत में रिपोर्टर के बारे में पूरा पता लगाया। वह यह जानना चाहता था कि रिपोर्टर सही बोल रहा या कोई गेम कर रहा है। इसलिए कैदी का बैरक और उसकी पूरी डिटेल जानने के बाद ही बातचीत करने को तैयार हुआ। बातचीत में वह धीरे-धीरे खुला। इसके बाद जेल में सेटिंग का खुलासा किया। राजीव – चलिए, मुलाकात करा देते हैं, लेकिन मोबाइल अभी नहीं जाएगा। पहले जेलर साहब से बात करनी होगी। रिपोर्टर – फिर क्या किया जाए? राजीव – बात कर लीजिए अभी। रिपोर्टर – नहीं, बस सामान चला जाए पहले। राजीव – सामान चला जाएगा। रिपोर्टर – कैसे जाएगा? राजीव – हम भिजवाएंगे। कौन-कौन सा सामान है? रिपोर्टर – वही, एक मोबाइल और एक सिम। राजीव – और कुछ? रिपोर्टर – चावल वगैरह ले लेंगे, उसी में चला जाएगा। राजीव – ऐसे नहीं जाता है, बड़े अधिकारी अपने हाथ से भेजेंगे। इसमें दो-तीन दिन लगेंगे। रिपोर्टर – प्लान कीजिए, जल्दी हो जाए। राजीव – आज आप बोल रहे हैं, हम जेलर साहब से बात कर लेंगे। रिपोर्टर – कितना लगेगा? राजीव – 15 हजार रुपए लग जाएगा। रिपोर्टर – कब जाएगा सामान? राजीव – नंबर ले लीजिए, बात करके बताएंगे। अगर बात करना होगा तो करा देंगे। रिपोर्टर – मोबाइल पर अंदर से बात हो जाएगी, इसके लिए कितना देना होगा। राजीव – जो देना होगा, दे दीजिएगा। अंदर एक आदमी जाकर बात करा देगा। रिपोर्टर – मैं फिर फोन कर दूंगा। राजीव – हां, जाइए ठीक है, टेंशन नहीं लीजिए, वैसा-वैसा बहुत काम करा दिए हैं हम लोग। रूपेश की अंदर तक सेटिंग है पटना के बेऊर जेल की पड़ताल के बाद भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम मुजफ्फर में स्थित शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा पहुंची। यहां भी मुलाकात के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में खेल सामने आया। यहां हमारी मुलाकात एजेंट रूपेश से हुई जो जेल के अंदर सामान पहुंचाने को तैयार हो गया। बोला कुछ दिन पहले तक बहुत कुछ सेटिंग होती थी। अब थोड़ी सख्ती है, थोड़ा इंतजार कीजिए फिर सब सेटिंग हो जाएगी। रिपोर्टर – मुलाकात करने का क्या सिस्टम है? रूपेश – हो जाएगा, 100 रुपए लगेंगे। ऑनलाइन कराना होगा। रिपोर्टर – 100 रुपए फीस है क्या? रूपेश – ऑनलाइन करने का लगता है, मोबाइल पर बात हो जाएगी? रिपोर्टर – आप करा दीजिए तो अच्छा होगा। रूपेश – वीडियो कॉल के लिए भी ऑनलाइन करना पड़ेगा, वीडियो कॉल पर बात होगी। रिपोर्टर – सामान का क्या होगा? रूपेश – अगर समान देना है तो यहां आना पड़ेगा। रिपोर्टर – सामान तो भिजवाना है, आप सेटिंग करा दीजिए। रूपेश – क्या भेजवाना है? रिपोर्टर – मोबाइल और सिम। रूपेश – थोड़ा रुकना पड़ेगा, अभी मामला बहुत टाइट है। रिपोर्टर – जो पैसा लगेगा, मैं दे दूंगा।रुपेश – अभी कोई उपाय नहीं है, ऐसा रहता तो मैं करा देता। रिपोर्टर – मोबाइल से बात हो जाएगी? रूपेश – नहीं, कोई उपाय नहीं है। मुलाकात के लिए भी एक दिन पहले नंबर लगाना पड़ता है। रिपोर्टर – जो पैसा लगेगा, मैं दूंगा, काम करा दीजिए। रूपेश – थोड़ी व्यवस्था बदल गई है। पहले वाले जेल सुपरिंटेंडेंट थे, तो सब हो जाता था। राकेश जेल के गेट पर दुकान लगाते हैं मुजफ्फरपुर में पड़ताल के बाद भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम हाजीपुर स्थित मंडल कारा पहुंची। यहां अपरिचित लोगों के साथ सरकार की सख्ती का थोड़ा असर दिखा, लेकिन जिनकी सेटिंग है, वह लेन देन करते भी नजर आए। हाजीपुर जेल में मुलाकात का समय सुबह के 8 बजे होता है। जेल के गेट पर दो ठेले लगे थे। ठेले पर जेल में जाने वाली रोजमर्रा का सामान जैसे सत्तू, बिस्किट, सर्फ, मिक्सचर आदि की बिक्री होती है। ये सब सामान कैदियों से मिलने आए उनके परिचित खरीदकर जेल के अंदर मुलाकात के दौरान ले जाते हैं। यहां हमारी मुलाकात दुकानदार राकेश से हुई। रिपोर्टर – मेरा एक आदमी अंदर बंद है, उसको कुछ सामान देना है। राकेश – अभी थोड़ी सख्ती है, इंतजार करना पड़ेगा। रिपोर्टर – जरुरी है, कैसे होगा? राकेश – सब कुछ सेट हो जाएगा, लेकिन अभी मोबाइल को लेकर सख्ती है। रिपोर्टर – करा दो भाई, जो पैसा लगेगा दे देंगे। राकेश – इसके लिए सेटिंग होगी, इंतजार करना होगा। रिपोर्टर – कब तक होगा, बता दीजिए? राकेश – अभी यह सब बात यहां नहीं कीजिए, मामला फंस जाएगा। रिपोर्टर – कोई जुगाड़ लगा दीजिए। राकेश – बाद में बात कीजिएगा, देखा जाएगा। रिपोर्टर – प्लीज देख लीजिए कुछ हो जाए। राकेश – अभी भीड़ है, एक बार अंदर बात कर लेते हैं आप कल आइए, फिर देखते हैं। हाजीपुर जेल में चेकिंग में लापरवाही हाजीपुर में जेल के अंदर जाने वाले हर सामान की जांच गेट पर ही हो रही थी। सुरक्षा कर्मी सामानों की जांच तो कर रहे थे, लेकिन बॉडी सर्च करने में लापरवाही देखने को मिली। कोई भी आदमी अपने बॉडी में छिपाकर मोबाइल, सिम या आपत्तिजनक छोटा सामान आसानी से ले जा सकता है। क्योंकि यहां बॉडी की कोई जांच हो ही नहीं रही थी। कुछ सेटिंग वाले तो दूर से कुछ लेनदेन करते भी नजर आए। गेट पर ही सिपाही ले रहे पैसा भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम काफी देर तक हाजीपुर जेल गेट पर नजर बनाए रही, ताकि कुछ गतिविधियों का पता चल सके। इसी बीच एक आदमी दो महिलाओं के साथ कैदी से मुलाकात के लिए पहुंचा। इन लोगों ने कुछ सामान खरीदा और झोला भरकर सामान लेकर गेट पर पहुंचे। महिलाएं सामान जांच और बॉडी सर्च के लिए महिला सुरक्षा कर्मी के पास चली गई। आदमी गेट पर खड़े सिपाही के पास जाता है। वह सुरक्षा कर्मियों से कुछ बात करता है, उसके बाद उसकी बिना बॉडी सर्च किए ही एंट्री जाती है। एंट्री के पहले आदमी सिपाही को हाथ से कुछ देता है। सिपाही चुपचाप पॉकेट में रख लेता है। जेब में रखने से पहले सिपाही छिपा कर पैसा देखता है, आदमी से कुछ कहता है। आदमी बाहर आता फिर अंदर जाता है, वहीं सिपाही सिर्फ बॉडी सर्च के नाम पर आदमी की पैंट की पॉकेट पर हाथ लगता है और आदमी को अंदर भेज देता है।
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