सरकारी दस्तावेजों में भूमिहार जाति को भूमिहार या भूमिहार ब्राह्मण लिखने पर बुधवार को हुई सवर्ण आयोग(उच्च जातियों के विकास के लिए राज्य आयोग) की तीसरी बैठक में सहमति नहीं बन सकी। आयोग के 5 सदस्य भूमिहार या भूमिहार ब्राह्मण के नाम पर दो खेमों में बंट गए। शुरू में वोटिंग से फैसला करने चर्चा हुई। परंतु, वोटिंग से फैसले पर किरकिरी की आशंका को देखते हुए सभी सदस्य मामला सरकार को ही वापस करने पर एकमत हो गए। इससे पहले सवर्ण आयोग की पिछली बैठकें 21 नवंबर और 8 दिसंबर को हुई थीं। बेनतीजा रही थीं। भूमिहार या ‘भूमिहार ब्राह्मण’ लिखने के फैसले से हाथ खड़े करते हुए सवर्ण आयोग ने इसे सरकार पर टाल दिया है। इसे आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया गया है। सरकार को भेजे जाने वाले प्रतिवेदन के तहत आयोग से संबंधित किसी भी गाइडलाइन या रूलबुक में जाति का नाम तय करने से संबंधित अधिकार नहीं होने की बात लिखे जाने की तैयारी की गई है। शेष पेज 13 पर
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